"गोत्र" बताकर क्या होगा जनाब,
बताना ही है तो अपने "किरदार" का
"करतब" बताइए...!!!
(:--स्तुति)-
इश्क़ में आते होंगे
जाति और मजहब बीच में तुम्हारे वहां जनाब
हम राजस्थान से है मियां
हमारे यहां तो गोत्र भी आड़े आते है 😁
# राजस्थानी छोरी-
बे वज़ह ही जात-पात गोत्र कि ऐसी आग लगाई हुई है
सोच के कुछ ठेकेदारों ने मोहब्बत मज़ाक बनाई हुई है-
एक तो दुनिया पहले ही नकली लोगों से भरी है,
उपर से धर्म ,जाति और गोत्र भी देखना पड़ता है।-
ब्राह्मण वंशावली मे "कौशिश" नाम का
कोई गोत्र नही है! शुद्ध रूप से कौशिक है!
कौशिश संस्कृत का शब्द नही ये उर्दू शब्द है!
"कौशिश के स्थान पर कौशिक लिखे" !-
पहले तो देखेंगे जाति,,,फिर गोत्र,,कुंडली,, और भी बहुत कुछ मिलाएंगे,,,,,,
उसके बाद रंग रूप,,,लंबाई चौड़ाई,,,मोटे पतले,,,
इन सबके बाद में कमाई देखेंगे,,,
फिर अंत में कह देते है कि ये जोड़ी तो ऊपर वाले ने बनाई है ,,,,
वाह री दुनिया वाह रे समाज तुम्हारे इस नियम पर भगवान भी बलिहारी है !!!!!!-
पूछ कर कीजिये प्रेम, धर्म, गोत्र और जात यहाँ
वर्ना न होगी मुकम्मल कभी कोई जज़्बात यहाँ
क्या ही मायने है रौशनी-ए-इल्म-ए-ज़िंदगी की
जब कर ही न सके इंसाफ़ ख़ुद ही के साथ यहाँ-
"कोशिश वाल" विश्व के किसी भी
धर्म समप्रदाय की वंशावली मे नही!
इसका शुद्ध रूप "कौशिक सिवाल" है
कोशिश मूलत: उर्दू भाषा का शब्द है
भारतीय सब गोत्र
सप्तऋषियों से निकले है!
कृपा सब अपने गोत्र को
शुद्ध रूप से लिखे!
गोत्र का अशुद्ध रूप आपकी
पहचान को नष्ट कर देगा!-
एक गर्व
राजस्थान में फूलमाली समाज
चार गोत्रिय व्यवस्था मानता है
खुद, मां, दादी, नानी
इसके अलावा कभी - कभी कारणवश 2 मां,दादी,नानी हो तो उनके गोत्र भी देखें जाते है, इससे रिश्तों की अहमियत बनी रहती है और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के लोगों से आपसी संबंध बनते है बाकी और भी बहुत बाते है जिन्हे अधिकांश आप सब जानते हो
जबकि अधिकांश समाज में अब नानी के गोत्र को नहीं माना जाता है और अब दादी के गोत्र को हटाने की भी बोल रहे हे-
प्रिय रात्र
अंधार तुझं गोत्र
सकाळला पडलेलं सुंदर स्वप्न म्हणजे रात्र
कुणाला हवीशी तर कुणाला नकोशी
दिवसभर थकून आलेल्या श्रमीकास आपल्या कवेत घेऊन सुखाची झोप देणारी तू
आणि दोन जिवाच्या संसारमध्ये आनंदाला अंकुरित करणारी ही तूच
रात्र म्हणजे जणू शांती अन नवं स्वप्नांना जन्म येणारी जननी
दिवसा सोबत लपंडाव खेळणारी सावळी सलोनी
रातराणी-