"कल भी निरुत्तर थी आज भी निरुत्तर हूँ"
था बचपन वो बड़ा सुहाना,गुड़िया-गुड्डो का एक जमाना।
बड़े नाज़ों से बनी जो गुड़िया,निशदिन खेला करती थी
बड़े प्यार से गुड्डे के संग ब्याह रचाया करती थी ।
था अबोध सा वो बालपन गुड़िया का दिन आया था
नए-नए परिधान पहनकर गुड़िया को नहलाया था।
अब डूबेगी आज ये गुड़िया लोगों ने बतलाया था
पर गुड़िया का पीटा जाना तनिक रास नहीं आया था।
प्रश्न अनेक बालमन में थे पर कोई न उत्तर दे पाया था।
आज भी व्यथित होता मन क्यों कोख़ में मारी जाती गुड़िया?
क्या कसूर है इसमें इनका क्यों सहमति दे जाती स्त्रियां?
कैसे बढ़ेगी संतति आगे कैसे खिलेंगे आँगन में फूल?
क्यों पढ़ा-लिखा समाज भी आख़िर इन बातों को जाता भूल?
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आप सभी को गुड़ी पर्वा पर्व और चैत्र नवरात्री की शुभकामना....
😇😇🙏🙏-
दक्षिण भारत के पवित्र उत्सव का पर्व,
सतयुग के प्रारंभ का पावन दिवसीय पर्व,
भगवान राम के राज्याभिषेक का शुभ पर्व,
ब्रम्हा द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना प्रारंभ का पर्व,
विष्णु के मतस्य अवतार में अवतरित का पर्व,
सम्राट विक्रमादित्य का शकों पर विजय का पर्व,
वसंत के आगमन एवं नयी फसल उत्सव का पर्व,
किसानों के खुशहाली एवम् सुख-समृद्धि का पर्व,
उगाडी, गुड़ी-पड़वा, तेलगु नव वर्ष का पावन पर्व।-
हिन्दुत्व
नही सिखाता,
अपने अनुयायियों को
निरा कट्टर हो जाने का पाठ।
वरन देता है
उस सहिष्णुता की सीख
वह सहिष्णुता,
जो सहज स्वीकार करे
अन्य धर्मों के नव वर्ष की बधाइयाँ
उतनी ही सहजता
उतने ही प्रांजल हृदय के साथ
जितनी सहजता से
हिन्दू नवसंवत्सरारम्भ पर,
कर दी जाती है तैयार
गुड़ी पड़वा की असंख्य पताकाएँ
बाँट दिया जाता है सबमे
मिसरी, काली मिर्च और
नीम का प्रसाद।-
फूल खिले हैं टेसू के, महके हैं घर अँगनाई
वर्ष नवल विक्रम संवत की मंगल बेला आई
चैत्र महीना शुक्ल पक्ष में आई प्रतिपदा है
प्रिय स्वजन आज करो तुम मेरी स्वीकार बधाई
बदला है मौसम पतझड़ से आई ऋतु बसंती
छोड़ पुराना चोला पेड़ों ने नव कोपल पाई
शुभ अवसर लेकर आया है वर्ष नया अपना ये
नव दिन के नवराते लाया नव भक्ति उपजाई
मेहँदी औऱ महावर का, सुंदर श्रंगार किया है
घर-द्वार सजा है आओ, न करो देर महामाई-
स्वयं की समझदारी भी
महत्वपूर्ण होती है,
अन्यथा
दुर्योधन और अर्जुन
दोनों के गुरु एक ही थे।
चैत्र नवरात्रि, वर्ष प्रतिपदा एवं गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं।
शुभ प्रभात!! 🌿!!-
भारतीय संस्कृतियों का नववर्ष,
नई फसलों के उत्सव का जश्न,
चैत्र नवरात्रि- हिन्दुओं का नववर्ष,
बैसाखी- सिक्खों का नववर्ष,
विशु- केरला-मलयालम नववर्ष,
पोइला- बंगाली-बांग्ला नववर्ष
बोहाग बिहू- असमिया नववर्ष,
उगादी-दक्षिण भारत-तेलगु नववर्ष,
पुत्ताण्डु, पुथंडू - तमिल नववर्ष,
गुड़ी पड़वा- महाराष्ट्र का नववर्ष,
चेटीचंड- सिंधी समुदाय का नववर्ष,
सजीबु नोंगमा पांबा-मणिपुर नववर्ष
संवत्सर पड़वा - गोवा का नववर्ष
नवरेह - जम्मू-कश्मीर का नववर्ष,
थापना - राजस्थान का नववर्ष,
प्रकृति-प्रेम परिवर्तन का नववर्ष।-
नई फ़सलों, किसानों की खुशियो का त्यौहार है,
यह नववर्ष के गुड़ी पड़वा-उगादी का त्यौहार है।-