Poonam Singh   (पूनम 'प्रेयसी')
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Joined 16 February 2021


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Joined 16 February 2021
6 APR AT 17:46

'मेरा परिचय'
मैं अपना परिचय क्या दूँ..
जन्मभूमि जौनपुर ननिहाल रहा
शैक्षिक पृष्ठभूमि था सोनभद्र
अब कर्मभूमि प्रतापगढ़ बना
आगे क्या होगा ये क्या कहूँ
मैं अपना परिचय क्या दूँ
पाँच भाई-बहनों में बड़ी रही
जिम्मेदारियों से घिरी रही
शिक्षा को स्तम्भ मानकर
हर कक्षा में अव्वल रही
कृष्ण-भक्ति रहा बचपन से
कविता भी लिख दी बतला दूँ
मैं अपना परिचय क्या दूँ...
वैवाहिक जीवन की कठिन डगर
संघर्ष किया है प्रतिक्षण
सानिध्य हुआ,समृद्ध हुआ
दोनों बेटों के नाम बता दूँ
मैं अपना परिचय क्या दूँ
कुछ मिलता है तो कुछ खोता है
ईश्वर की मर्जी से सब होता है
पद मिला,गौरव मिला
प्रिन्सिपल का मान बढ़ा दूँ
मैंअपना परिचय क्या दूँ..
जीवन में हुआ दुर्लभ संयोग
उपजा प्रेम उर हुआ वियोग
राधा रानी की कृपा सी
पूनम हो गयी प्रेयसी
पूनम'प्रेयसी'के सृजन को
अब एक नया आयाम दूँ ..! पूनम'प्रेयसी'

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30 MAR AT 19:35

प्रेम बार-बार कहाँ होता है...
रख दो लाख विकल्प इसके
दिल पर अख्तियार कहाँ होता है!

प्रेम बार-बार कहाँ होता है...
पीतल भी सोना बन जाए
हीरे का एतबार कहाँ होता है!

प्रेम बार-बार कहाँ होता है..
ठहर जाए जैसे शाख पर पंछी
ठहर कर जार जार रोता है!


प्रेम बार-बार कहाँ होता है...
ये तो है ईश्वर की नेमत
तिरस्कार कहाँ होता है!

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30 MAR AT 19:19

जाने क्या है उनकी तस्वीर में उज्ब-ए-खास प्रेयसी...
नज़र भर देख लें तो मंजिल-ए-मकसूद होते हैं..!

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30 MAR AT 15:40

प्रेम को तुम लिख न सकोगे
इसके शब्द नहीं होते
होते हैं तो सिर्फ पंख

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9 FEB AT 12:55

जग से जीत गया हूँ , पर प्रेम में घुटने टेक दिये
अब न ठुकराना यारा, ये फूल जो मैने भेंट दिये !

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6 FEB AT 22:04

प्रेम कूं अनूठो बैन..!

कहे नहीं कुछ भी
समझ सबहीं परे
मिलन की सुधि कहाँ
विरह से भर आए नैन
प्रेम कूं अनूठो बैन..!

निशा लगे वासर सु
वासर लगे हैं रैन
कान्हा को ब्रज सूनी
राधा संग पावै चैन
प्रेम कूं अनूठो बैन...

पांव थिरक्यौ नहीं
नाच रह्यौ है मन
खुले नहीं अधर पट
बतियां करे दोउ नैन
प्रेम कूं अनूठो बैन..!
पूनम'प्रेयसी'




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23 JAN AT 20:20

तुम ही तो हो...!
फ़ूलों की महक में
चिडियों की चहक में
हर एक एहसास में
मेरे आस पास में
तुम ही तो हो...!
मेरे हर गीत में
प्रेयसी की प्रीत में
खुशी की छोर में
आँसू की कोर में
तुम ही तो हो...!
ढूंढ सको तो ढूंढ लो
हर राग अनुराग में
प्रेम के पराग में
अनछुए से अनकहे से
तुम ही तो हो...! पूनम'प्रेयसी'

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2 DEC 2023 AT 12:52

'कौन है पूरा'

कौन है पूरा यहाँ ?
सबकुछ है अधूरा
देखती हूँ सोचती हूँ ,
जब इस दुनिया को
देखने में जगमग
चकाचौंध पर अन्तर्मन में
एक विरानी सी
सूनापन सा
किसी का प्यार सूना
किसी की मांग सूनी
किसी की गोद सूनी
किसी को खर्चने को धन नहीं
सब एक झूठी मुस्कान लिए
फिर रहे हैं
फिर कौन हुआ पूरा
जो ईश्वर की शरण में
चला गया निर्विकार
निर्लिप्त उसी में अंगीकार
जो अपने सभी कर्तव्य का
कर रहा है निर्वहन
समझ ईश्वर की इच्छा
लोभ मोह विषय से रहित
वास्तव में वही है पूरा । पूनम'प्रेयसी'

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30 NOV 2023 AT 19:17

समाज में बढ़ती संवेदनहीनता

चीं चीं करके चिड़िया ने मुझे जगाया
करअटपटी बातें कुछ मुझे सताया ।

बोली तुम मानव से तो हम पंछी भले
संवेदनहीन समाज इसके बड़े चोचले।

न रही ममता न मानवता सब सुप्त पड़े
स्व पोषण ही रहा लक्ष्य सब यहीं खड़े ।

लुटे अस्मत बेटियों के लहूलुहान हो धरती
मर गई हैं संवेदनाएं बंद हुईं सब खिड़की ।

हम पंछी तो एक दूजे से मिल-जुलकर रहते हैं
आए ग़र कोई मुसीबत झट निपटारा करते हैं ।

पूनम'प्रेयसी'
प्रतापगढ़ (उ.प्र.)


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27 NOV 2023 AT 9:19

काश...एक दिन ऐसा आए
फड़के आँख मेरी और तूँ मिल जाए 💕

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