नासमझ हो तुम, कभी ना समझ पाओगे।
इस अधुरे दिल से जुड़ कर तो देखो,
तुम भी हमारी मोहब्बत के गुलाम बन जाओगे॥-
रुपए पैसे और रुतबे का दरिया बहाओगे
तो मेरे खरीददार आप नीलाम हो जाओगे,
सच्चे प्यार की सिर्फ एक बूँद मुझपे लुटाओगे
तो ताउम्र मुझे अपना वफादार गुलाम पाओगे||
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मैं उस परिंदे
को ज़रूर आज़ाद करता हूं,
जो मुझे पिंजरे में नजर आता है।-
आज़ादी का मतलब क्या
आज़ादी का मज़हब क्या?
अपनी मर्जी का गुलाम जो
उसे आज़ादी से मतलब क्या?-
इश्क़ अगर रहीसी देखकर होता तो.....
ऐसे ही नहीं राजा एक तवायफ के
इश्क़ का शिकार होता।
उसके प्यार का ग़ुलाम ना होता।।-
पहले आपने पढ़ा था उस कोठे पर।
उसी के दूसरे रूप में ले के आये है इस कोठे पर।
कोठे पर 2.0
कभी तो मिलने आओ हमारी जान इस कोठे पर
जो लिया है हम ने अकेला मकां इस कोठे पर-
आजादी चाहते हैं उस ईस्या से जो दुसरे की कामयाबी से होती है
आजादी चाहिए उन कचरे के ढेर से जाहा ना जाने कीतने बच्चों के सपनों को रो़धा जाता है
आजादी चाहिए उन बदीस्सो से जाहा नजर किसी की खराब है, बदीस्से कीसे करनी पडती है
आजादी चाहे उन ख्वाबों को जीने के लिए जीन्हे,पायल और चुड़ियों की दो खुबसूरत बेडीयो में बांध दिया जाता है
आजादी चाहते उस घम् से जाहा हिन्दू मुस्लिम , मदिंर मस्जिद देखने के चक्र में ये दिखाई नहीं देता की कल का हिदुस्तान आज कचरा बीनं कर दो वक्त का खाना कमाता है,
आजादी चाहिए इस आजाद हिदुस्तान को जो अपने ही नजरीयें का गुलाम है
क्यु ना मंदिर मस्जिद की जगह शिक्षा का ताजमहल बनाये, संगमरमर का ना सहीं कच्ची ईटों का ही सही, जो कल हिदुस्तान को बनाने में काम आये,-
नहीं भाते कोई और हमें
लगता हैं आँखों ने आपका गुलामी कर लिया हैं।
आपके इश्क़ में फ़ना होने की
लाखों वजह हमने पा लिया हैं।
तय है आपसे न मिलना
फिर भी ये नादान दिल
एक छोटा सा उम्मीद पाल लिया हैं।-
ताश के पत्तों सा तमाशा दुनिया आस्तीनों मे छिपा फ़रेब मिलता है
यहाँ पलक झपकते ही बादशाह, गुलाम हो जाया करते हैं
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