मैंने ख़ुद को गिरा के कई बार उठाया है तुम्हे..!
और तुमने तो गिरा हुआ ही समझ लिया हमें..!!
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गिराकर बिजलियाँ हम पर,
मोहब्बत भी जताते हैं..!
वफ़ा का ज़िक्र करते हैं,
मगर वो आज़माते हैं.!😊-
जिंदगी की दौड़ में मुझें गिराकर दो पल की खुशी लेने वाले,
तुम मेरे हौसले कभी नही गिरा पाओगे।।-
"सस्ती हो गयी है आबरू,
मुट्ठी भर के ओढ़ने में",
...यही समझकर लोग,
गंदी निगाहें गिराकर मुझपर,
अक्सर अपना हक समझ लेते है।-
हर बार थामा था हमने,,
उसने गुरूर समझ लिया!!
उसे पता नहीं हमने बहुत,,
कुछ तोड़ा था एक रिश्ता निभाने के लिए!!-
नज़र होती है हम पर ,
पर देखते हैं तितलियां..
बात करते हैं हमसे,
मगर खोए उन्हीं में रहते हैं..
कैसी मायावी मुहब्बत से,
वो हमको आजमाते हैं.. 🤔
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आज कुछ बुरा करने का ख्याल आया,
किसी को गिराकर संभालने का ख्याल आया।
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माना की औरो के जैसे कुछ पाया नही मैंने,पर खुश हूँ ,
क्यों की खुद को गिराकर कभी कुछ उठाया नही मैंने..।-
गिराने वालो को इतनी सी ग़ुज़ारिश है,
इतनी शिद्दत से गिराना हमें की उठ न पाए,
अगर उठ गए हम गलती से,
फिर गिराना नामुनकिन हो जाएगा।।-