QUOTES ON #गर्मी

#गर्मी quotes

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22 MAY 2019 AT 18:14

गर्मी का मौसम है ,
धोखे की बहार है ,
थोड़े आंसू की बौछार है,
और अपने भी डसने तैयार है।

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9 APR 2019 AT 11:56

बड़ी तेज़ धूप है, मौसम गर्म है आजकल
फिर भी तेरी यादों में ठिठुर रहा हूँ मैं ...

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4 JUN 2020 AT 19:57

इस गर्मी की छांव बन जाओ,
मैं तेरा शहर तुम मेरी गांव बन जाओ।

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1 APR 2019 AT 10:58

ये मार्च में जून सी गर्मी क्यों है
कहीं तुम्हारी नज़दीकियां तो नही?

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29 MAY 2020 AT 12:12

वो गर्मी में भी सजा देता है।
वो सर्दी में भी सजा देता है॥





टंकी का पानी बड़ा बेवफा है।
हर मौसम में दगा देता है॥

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16 MAR 2022 AT 22:25

वक्त की ये कोई बेवफाई लगती है
अपनी ही चीज़ अब पराई लगती है

तारीफ़ करते न थकते थे कल तक
आज क्यों वही सब बुराई लगती है

बेसब्री से करते थे जिसका इंतजार
वही धूप गर्मियों में कसाई लगती है

मत उलझिए शब्दों के मायाजाल में
ये तो इनकी आदत पुरानी लगती है

जो खुद को अच्छा लगे वो कर डाल
सबकी खुशी की बात बेमानी लगती है

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18 APR 2019 AT 13:05

मेरा जेठ मोहब्बत नही बरसाता है ज़रा भी
बल्कि ये सुखा देता है इश्क़ अपनी धूप से।

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7 JAN 2020 AT 18:23

बादल से गिरी
जो बूंद
गर्मी से तपती
धरा के लिए
प्रेम है....
वही बूंद
सर्दी से ठिठुरती
ओस की
चादर में लिपटी
धरती के लिए
'औषधि'...
....और औषधि
सदैव मीठी ही हो
ऐसा आवश्यक तो नहीं !

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13 MAY 2021 AT 20:37

इन गर्मी में बारिश की मौसम जैसे हो तूम
सुहाना भी,आकर्षित भी और अस्थायी भी !

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20 JUN 2020 AT 8:08

[गर्मी में बढा अभिमान]
गर्मी का महीना था लोग बगीचों में आते था
मुश्किल से जीना था, फिर भी साथ पंखिया लाते थे
फिर भी पतानहीं क्यों मेरा दिन-भर में 4-6 बार नहाते थे
गर्व से उठा सीना था कभी-कभी खाना नहीं खाते थे
जबकि बह रहा पसीना था।। फिर भी पतानहीं क्यों मेरा
तपन से फूल नहीं खिलते थे गर्व से उठा सीना था
बिछड़े यार नहीं मिलते थे जबकि बह रहा पसीना था।।
पेड़ों के पत्ते नहीं हिलते थे सबने मुझसे इतना कहा
दर्जियां कपड़े नहीं सिलते थे कुछ काम कर मस्त हो जाएगा
फिर भी पतानहीं क्यों मेरा बैठने से जिंदगी पस्त हो जाएगा
गर्व से उठा सीना था फिर भी पतानहीं क्यों मेरा
जबकि बह रहा पसीना था।। गर्व से उठा सीना था
जबकि बह रहा पसीना था।।
-Abhishek tiwari[ #कवि]


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