Abhishek Tiwari कवि   (Abhi 💗✍️)
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Joined 22 April 2020


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Joined 22 April 2020

मेरा आदि तुम्हीं, मेरा अन्त तुम्हीं
ख्वाबों में रहोगी, जीवनपर्यन्त तुम्हीं।।
मेरी जीत तुम्हीं, मेरी हार तुम्हीं
मेरा सबकुछ हो, सरकार तुम्हीं।।
मेरी ताकत हो तुम्हीं, कमजोरी भी तुम्हीं
इस जीवनरुपी पतंग की, एकमात्र डोरी भी तुम्हीं।।
मेरा लक्ष्य तुम्हीं, भटकाव भी तुम्हीं
मेरा शहर तुम्हीं, मेरा गाँव भी तुम्हीं।।
मेरी सुबह तुमसे, मेरी शाम भी तुमसे
मेरा नाम भी तुमसे, थोड़ा बदनाम भी तुमसे।।
मेरे शब्द तुम्हीं, मेरा ज्ञान तुम्हीं
मेरा प्रेम तुम्हीं, मेरे प्राण तुम्हीं।।
मेरी जज़्बा तुम्हीं, मेरा जुनून तुम्हीं
मेरी श्वास, हृदय और खून तुम्हीं।।
मेरी भक्ति तुम्हीं, मेरी शक्ति तुम्हीं
मेरी आँखें हैं बस तकती तुम्हें।।
मेरी खुशी तुम्हीं, मेरा गम भी तुम्हीं
मेरे हर एक दर्द का, मरहम भी तुम्हीं।।
मेरे शब्द तुम्हीं, मेरी भाव तुम्हीं
इस जीवनरूपी पहिए का, एकमात्र ठहराव तुम्हीं।।

Abhi 💗✍️


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किसी से दिल लगाएं तो लगाएं कैसे..
किसी की यादों को दिल से मिटाएं तो मिटाएं कैसे..
कुछ बातें जो हैं चुभ गई सीने में, उन्हें बताएं तो बताएं कैसे..
ऐसा नहीं कि तुम मेरे लायक नहीं या तुममें कमियाँ बहुत,
पर तुम्हीं ना बताओ
एक ही तो दिल 💌 है, इसे बार बार तुडवायें तो तुड़वायें कैसे ।।
Abhi 💗✍️



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25 DEC 2022 AT 7:43

सुबह की पहली ख्वाब और रात की आखिरी सुकून हो तुम,
मेरे जीने की तुम्हीं वजह, मेरी श्वास,हृदय और खून हो तुम।

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18 OCT 2022 AT 11:27

एक-दो दिन तुम खूब करते हो, बातें हमसे cute सी 😊
बताओ बताओ फिर क्यूं तुम हो जाती अक्सर mute सी 🙄
गुस्सा तो ऐसे हैं इनके जैसे, हैं ये lady- डॉन 👸
रुठे कभी तो कभी नखरे करे, गाल फुलाए जैसे मीठा-पान 😍
बच्चों को खिलाती उन्हें हसाती, बन जाती चिंकी और मिंकी 👯‍♀️
पिंक कपड़ों में कहर है ढाती, लगती flower जैसी pinky.💝
हर वाणी उसकी शहद सी, उनकी बातें मीठी- मीठी 🍫
कोई बुलाता उन्हें पापा की परी, Abhi बुलाता है Sweety.😇
सुंदरता की खान है स्वीटी, उससे ही चमकता उसका शहर है 🌼
देवी- परी भी पड़ जायें फीकी, उसके बिना ना एक भी पहर है 🥰

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20 AUG 2021 AT 13:16

कैसे मैं करूं अब दर्द बयां
खुद पे है आती अब मुझे दया,
सब कुछ लगता है मुझे पुराना
अब न रहा कुछ नया नया
अब न रहा कुछ नया नया
हालात हैं कुछ ऐसे कि बड़ा मजबूर हूँ मैं..
अपनों के लिए ही अपनों से बड़ा दूर हूँ मैं..
सावन कि घटा अब तू ही बता
हर कोई जाता मेरे दिल को मसल के,
तेरे बिन हूँ मैं तनहा-तनहा
जैसे कोई खेत है बिना फसल के
जैसे कोई खेत है बिना ....🌾
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दोस्त छूटा, भाई - यार छूटा
कहने को तो मेरा प्यार छूटा,
अब किससे किसकी करें शिकायत
खुद से है जब मेरा, खुदा रूठा 😔
खुद से है जब मेरा, खुदा रूठा 😔
हालात हैं कुछ ऐसे कि बड़ा मजबूर हूँ मैं..
अपनों के लिए ही अपनों से बड़ा दूर हूँ मैं..🆎

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9 MAY 2021 AT 7:00

माँ तू ममता की मूरत है..
ईश्वर की दूसरी सूरत है..
इस सुंदर सी धरती पे मुझे जनम है दिया..
अपने सीने से लगा वात्सल्य और प्यार है किया..
मेरे हर गलती को भी तू भुला देती है..
गर नींद न आये कभी तो गोद में सुला देती है..
माँ तू ही है जिसने सबसे पहले मेरे धड़कनों को सुना,
माँ तू ही है जिसने मेरे हर सपनो को है बुना,
लोरी गा गा कर है तूने.. मुझको सुलाया,
मेरी उंगली पकड़कर है मुझे चलना सिखाया,
मेरी शरारतो हर नाज़-नखरे को तूने उठाया..
अच्छे संस्कारो का जामा है मुझको पहनाया..
मुश्किल राहों पर मुझको है बढ़ना सिखाया..
जो गिर पड़ा कभी मैं तो,तूने संभलना है सिखाया..
तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, है ये जान भी हाजिर
तू मेरी माँ है,मेरी माँ है, मेरी माँ है तू आखिर..♥️♥️

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17 APR 2021 AT 7:32

तुम्हें क्या पता कितने खास हो तुम..
दूर होके भी कितना पास हो तुम..
हमें तो नाराजगी है सिर्फ इस बात कि..
कि अब भी इतना उदास हो तुम..
इस भ्रम में न रहो कि तुम्हें हम भूल से गए है,
तुम्हें तो हम याद करते हैं.. अब भी बेइंतेहा,
पर क्या करें..मेरे लिए तो सिर्फ "काश" हो तुम

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17 FEB 2021 AT 19:07

{{ बेरोजगार भाइयों की कहानी }}

मस्तक पे टीका, सिर पे पगड़ी
हाथों मे लेके घूमते हैं, कलरफुल- झंडा
ये हैं कोई वीर नहीं, हैं बेरोजगार भाई
घर- घर जाके ये मांगते हैं चंदा।।
जब-जब आता है मई-जून का महीना
जेठ की दुपहरी मे इनका पचक जाता है सीना
आँसु गिरता है, बहता कई लीटर पसीना
क्या करें "हरीनाथ" क्या करें "दीना"।।
अक्टूबर में रामलीला, दशहरा, दुर्गा-पूजा
ऐसा कमाने का मौका इन्हे, मिलता न कभी दूजा
नवरात्री के 9 दिन में लगता, मईया का दरबार
भक्ति में लीन होने से मिलता कइयों को रोजगार।।
ठंडी मे गुड़गुड़ाते , सब बचाते अपना जान हैं
चुनाव-प्रचार बंद, कलुआ के पापा बहुत परेशान हैं
खेती है एक सहारा, गेंहू-धान कूट लो
शादी-ब्याह के लगन में, जितना लूटना है लूट लो।।
कोशिश करें ये कितना भी टाइट होने का
फिर भी पचक जाता है इन सब का सीना
क्या करें "हरीनाथ" क्या करें "दीना"
फिर से आ जाता है, मई-जून का महीना।।
यही पहला ख्वाब इनका, यही ख्वाब आखिरी
कायदे से पढ़े होते तो मिल जाती नौकरी-चाकरी
जब कुछ भी नहीं बचता तो ये, बेचते हैं बिस्लरी का पानी
कितनी संघर्ष भरी है,हमारी बेरोजगार-भाइयों की कहानी।।
Abhishek Tiwari [ #कवि]

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1 FEB 2021 AT 18:54

[ गांव के वो दिन ]
याद आता है वो गांव, जहां हम स्कूल से दौड़े आते थे
बिन खाए बिन कपडे़ निकाले,खेलने निकल जाते थे।।

15 अगस्त और 26 जनवरी को,सारी खुशी रहती झंडे में
वर्ल्ड-कप ओलम्पिक में कहां रोमांच, जितना था गिल्लि-डंडे मे।।

हरे-भरे मैदान में घूमते, और देखते खेतों के मेड़,
घर के पास लहराते पीपल,जामुन नीम के पेड़।।

रस्ते में,चोरी से इमली तोड़ के खाते, सबके सामने खैर नहीं।।
अब भी है पर पहले जैसा, शायद रामू काका का बैर नहीं।।

काले जामुन और आम के लिए होती थी मारा-मारी
खटिया डाले बगिया के बीच होती थी इनकी रखवाली।।

हम घूमते पूरा गाँव दोस्तो संग, डालके हाथ मे हाथ
अब न जाने क्यूँ वो पल भी, इक पल मे छूट
बड़े होने पे हमारा गांव भी, यूं बेवजह हमसे रूठ गया।।

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24 JAN 2021 AT 21:16

"आसमान की सैर करने वाले हर कोई परिंदे नहीं होते,
और लड़कियों पे नजर डालने वाले हर कोई दरिंदे नहीं होते।"

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