Abhishek Tiwari कवि   (Abhi 💗✍️)
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Joined 22 April 2020


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Joined 22 April 2020
28 MAR 2024 AT 11:41

मेरा आदि तुम्हीं, मेरा अन्त तुम्हीं
ख्वाबों में रहोगी, जीवनपर्यन्त तुम्हीं।।
मेरी जीत तुम्हीं, मेरी हार तुम्हीं
मेरा सबकुछ हो, सरकार तुम्हीं।।
मेरी ताकत हो तुम्हीं, कमजोरी भी तुम्हीं
इस जीवनरुपी पतंग की, एकमात्र डोरी भी तुम्हीं।।
मेरा लक्ष्य तुम्हीं, भटकाव भी तुम्हीं
मेरा शहर तुम्हीं, मेरा गाँव भी तुम्हीं।।
मेरी सुबह तुमसे, मेरी शाम भी तुमसे
मेरा नाम भी तुमसे, थोड़ा बदनाम भी तुमसे।।
मेरे शब्द तुम्हीं, मेरा ज्ञान तुम्हीं
मेरा प्रेम तुम्हीं, मेरे प्राण तुम्हीं।।
मेरी जज़्बा तुम्हीं, मेरा जुनून तुम्हीं
मेरी श्वास, हृदय और खून तुम्हीं।।
मेरी भक्ति तुम्हीं, मेरी शक्ति तुम्हीं
मेरी आँखें हैं बस तकती तुम्हें।।
मेरी खुशी तुम्हीं, मेरा गम भी तुम्हीं
मेरे हर एक दर्द का, मरहम भी तुम्हीं।।
मेरे शब्द तुम्हीं, मेरी भाव तुम्हीं
इस जीवनरूपी पहिए का, एकमात्र ठहराव तुम्हीं।।

Abhi 💗✍️


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25 DEC 2022 AT 7:43

सुबह की पहली ख्वाब और रात की आखिरी सुकून हो तुम,
मेरे जीने की तुम्हीं वजह, मेरी श्वास,हृदय और खून हो तुम।

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18 OCT 2022 AT 11:27

एक-दो दिन तुम खूब करते हो, बातें हमसे cute सी 😊
बताओ बताओ फिर क्यूं तुम हो जाती अक्सर mute सी 🙄
गुस्सा तो ऐसे हैं इनके जैसे, हैं ये lady- डॉन 👸
रुठे कभी तो कभी नखरे करे, गाल फुलाए जैसे मीठा-पान 😍
बच्चों को खिलाती उन्हें हसाती, बन जाती चिंकी और मिंकी 👯‍♀️
पिंक कपड़ों में कहर है ढाती, लगती flower जैसी pinky.💝
हर वाणी उसकी शहद सी, उनकी बातें मीठी- मीठी 🍫
कोई बुलाता उन्हें पापा की परी, Abhi बुलाता है Sweety.😇
सुंदरता की खान है स्वीटी, उससे ही चमकता उसका शहर है 🌼
देवी- परी भी पड़ जायें फीकी, उसके बिना ना एक भी पहर है 🥰

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1 JAN 2021 AT 11:05

[[ कैसे बीता 2020]]

पूछो मत कि कैसे बीता 2020 , इतिहास के पन्नों में 2020 का एक अलग ही महत्व होगा जिसका प्रमुख कारण है " कोरोना"
जनवरी महीना- पढाई-लिखाई एकदम चरम पर था क्योंकि मेरा 12th का Board-exam जो था। प्रैक्टिकल भी हो रहे थे और एक ही चिन्ता रहती थी कि कहीं प्रैक्टिकल में कम नम्बर न आए, पूरी पढाई भी प्रैक्टिकल की वजह से बाधित रहती थी । फिर फरवरी में Board-exam हुअा,सभी पेपर उम्मीद के मुताबिक सही हुअा। मार्च से छुट्टी ही छुट्टी... 10 से 15 दिन सिर्फ खेलकूद और मस्ती ,पर ये कुछ दिनों की ही बात थी क्योंकि मैने B.H.U व Allahabad university में BA का form भरा था और अब 15 मार्च से पढाई ही पढाई। इस बीच कोरोना के वजह से Lockdown भी लग गया, प्रारंभ में तो खूब मजा आया परन्तु जैसे-जैसे लाकडाउन बढता गया मैं bore होने लगा ।
कभी सुनाई देता Board का कॉपी नहींं चेक होगा तो कभी entrance-exam नहींं होगा... दुविधा ही दुविधा। परन्तु जून माह के अंत में up board का result आया और अच्छे नं० से बोझ हल्का हुअा। सितंबर में entrance exam हुअा और B.H.U व Allahabad दोनो जगह मैने qualify किया और Allahabad university में मैने admition करवाया और इस बीच दशहरा,दीपावली व अन्य त्योहार धूमधाम से मनाया।साल के अंत में दोस्तों के संग बिताया अंतिम 10 दिन बहुत खास है क्योंकि शाम को खेलकूद व रात को पार्टी ...

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22 DEC 2020 AT 13:22

देश में Navy, airforce, t.g.t, p.c.s आदि सभी परिक्षाएं निरस्त...
कारण- देश के 70% से ज्यादा युवा इस समय " तारों के शहर " में गएं हुए हैं।।
💫😂😂💫

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20 AUG 2021 AT 13:16

कैसे मैं करूं अब दर्द बयां
खुद पे है आती अब मुझे दया,
सब कुछ लगता है मुझे पुराना
अब न रहा कुछ नया नया
अब न रहा कुछ नया नया
हालात हैं कुछ ऐसे कि बड़ा मजबूर हूँ मैं..
अपनों के लिए ही अपनों से बड़ा दूर हूँ मैं..
सावन कि घटा अब तू ही बता
हर कोई जाता मेरे दिल को मसल के,
तेरे बिन हूँ मैं तनहा-तनहा
जैसे कोई खेत है बिना फसल के
जैसे कोई खेत है बिना ....🌾
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दोस्त छूटा, भाई - यार छूटा
कहने को तो मेरा प्यार छूटा,
अब किससे किसकी करें शिकायत
खुद से है जब मेरा, खुदा रूठा 😔
खुद से है जब मेरा, खुदा रूठा 😔
हालात हैं कुछ ऐसे कि बड़ा मजबूर हूँ मैं..
अपनों के लिए ही अपनों से बड़ा दूर हूँ मैं..🆎

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9 MAY 2021 AT 7:00

माँ तू ममता की मूरत है..
ईश्वर की दूसरी सूरत है..
इस सुंदर सी धरती पे मुझे जनम है दिया..
अपने सीने से लगा वात्सल्य और प्यार है किया..
मेरे हर गलती को भी तू भुला देती है..
गर नींद न आये कभी तो गोद में सुला देती है..
माँ तू ही है जिसने सबसे पहले मेरे धड़कनों को सुना,
माँ तू ही है जिसने मेरे हर सपनो को है बुना,
लोरी गा गा कर है तूने.. मुझको सुलाया,
मेरी उंगली पकड़कर है मुझे चलना सिखाया,
मेरी शरारतो हर नाज़-नखरे को तूने उठाया..
अच्छे संस्कारो का जामा है मुझको पहनाया..
मुश्किल राहों पर मुझको है बढ़ना सिखाया..
जो गिर पड़ा कभी मैं तो,तूने संभलना है सिखाया..
तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, है ये जान भी हाजिर
तू मेरी माँ है,मेरी माँ है, मेरी माँ है तू आखिर..♥️♥️

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17 APR 2021 AT 7:32

तुम्हें क्या पता कितने खास हो तुम..
दूर होके भी कितना पास हो तुम..
हमें तो नाराजगी है सिर्फ इस बात कि..
कि अब भी इतना उदास हो तुम..
इस भ्रम में न रहो कि तुम्हें हम भूल से गए है,
तुम्हें तो हम याद करते हैं.. अब भी बेइंतेहा,
पर क्या करें..मेरे लिए तो सिर्फ "काश" हो तुम

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17 FEB 2021 AT 19:07

{{ बेरोजगार भाइयों की कहानी }}

मस्तक पे टीका, सिर पे पगड़ी
हाथों मे लेके घूमते हैं, कलरफुल- झंडा
ये हैं कोई वीर नहीं, हैं बेरोजगार भाई
घर- घर जाके ये मांगते हैं चंदा।।
जब-जब आता है मई-जून का महीना
जेठ की दुपहरी मे इनका पचक जाता है सीना
आँसु गिरता है, बहता कई लीटर पसीना
क्या करें "हरीनाथ" क्या करें "दीना"।।
अक्टूबर में रामलीला, दशहरा, दुर्गा-पूजा
ऐसा कमाने का मौका इन्हे, मिलता न कभी दूजा
नवरात्री के 9 दिन में लगता, मईया का दरबार
भक्ति में लीन होने से मिलता कइयों को रोजगार।।
ठंडी मे गुड़गुड़ाते , सब बचाते अपना जान हैं
चुनाव-प्रचार बंद, कलुआ के पापा बहुत परेशान हैं
खेती है एक सहारा, गेंहू-धान कूट लो
शादी-ब्याह के लगन में, जितना लूटना है लूट लो।।
कोशिश करें ये कितना भी टाइट होने का
फिर भी पचक जाता है इन सब का सीना
क्या करें "हरीनाथ" क्या करें "दीना"
फिर से आ जाता है, मई-जून का महीना।।
यही पहला ख्वाब इनका, यही ख्वाब आखिरी
कायदे से पढ़े होते तो मिल जाती नौकरी-चाकरी
जब कुछ भी नहीं बचता तो ये, बेचते हैं बिस्लरी का पानी
कितनी संघर्ष भरी है,हमारी बेरोजगार-भाइयों की कहानी।।
Abhishek Tiwari [ #कवि]

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1 FEB 2021 AT 18:54

[ गांव के वो दिन ]
याद आता है वो गांव, जहां हम स्कूल से दौड़े आते थे
बिन खाए बिन कपडे़ निकाले,खेलने निकल जाते थे।।

15 अगस्त और 26 जनवरी को,सारी खुशी रहती झंडे में
वर्ल्ड-कप ओलम्पिक में कहां रोमांच, जितना था गिल्लि-डंडे मे।।

हरे-भरे मैदान में घूमते, और देखते खेतों के मेड़,
घर के पास लहराते पीपल,जामुन नीम के पेड़।।

रस्ते में,चोरी से इमली तोड़ के खाते, सबके सामने खैर नहीं।।
अब भी है पर पहले जैसा, शायद रामू काका का बैर नहीं।।

काले जामुन और आम के लिए होती थी मारा-मारी
खटिया डाले बगिया के बीच होती थी इनकी रखवाली।।

हम घूमते पूरा गाँव दोस्तो संग, डालके हाथ मे हाथ
अब न जाने क्यूँ वो पल भी, इक पल मे छूट
बड़े होने पे हमारा गांव भी, यूं बेवजह हमसे रूठ गया।।

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