खुद को इतना भी मत तड़पाया कर,
खुशियां मिले तो ले जाया कर..
जुगनू लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर..
जख़्म हीरा है, दर्द मोती है,
दर्द आँखों से मत बहाया कर..
काम ले कुछ हसीन लम्हों से,
बातों-बातों में मुस्कुराया कर..
कौन कहता है गले मिलने को,
कम-से-कम हाथ तो मिलाया कर..
हर कोई फ़रेबी नहीं होगा तेरे साथ
किसी का साथ मिले तो आगे बढ़ जाया कर..-
यह रोज़-रोज़ बदलती
ख़ुशियों से मिलने की तारीख़,
फंसा मैं ना जाने
ख़ुदा की अदालत के
यह किस मुक़दमें में हूँ,
ज़िन्दगी जैसे कोई हादसा
...औऱ मैं सदमें में हूँ...-
ज़िंदगी में जो पसंद आते है,वही साथ छोड़ जाते है
उनकी खुशियों ख़ातिर हम अपनी खुशियों को भूल जाते है..
उन्हें क्या पसंद है क्या नहीं ये जानने में हम
अपनो के साथ,ख़ुद को भी भूल जाते है..
हम उनकी खुशियों के ख़ातिर दुवाएं मांग आते है,
एक दिन वही हमें तन्हा छोड़ जाते है..
वो क्या समझेंगे तुम्हारे एहसासों,जज्बातों को
जो अपनी खुशियों के ख़ातिर,अपनो का साथ छोड़ जाते है..
ज़िंदगी के एक दौर में वो इतना मगरूर हो जाते है,
कि गर हम बुलाना भी चाहे तो वो मुँह मोड़ जाते है..
उनकी तस्वीर को देखकर मेरा मुरझाया चेहरा खिल जाता है,
गर वो देखो मुझे गैरों के साथ,तो वो ख़ुद में ही जल जाते है..!-
कितने अरसे हो गए तुम्हे देखे हुए,
कितने दिन हो गए तुम्हे कुछ कहे हुए।
मेरी खामोशी ही अब सब कुछ कहेगी,क्योंकि
कितने समय हो गए खामोशी भरी बात कहे हुए।।
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खुशियां दोगुनी हो जाती है,
दुख़ आधी हो जाती है,
जब अपने हो साथ।
राहें तो खो जाती है,
हमसफ़र ही होते है साथ,
मंज़िल पाने के बाद।
वर्ना जंगल में मोर नाचा, किसने देखा ।
जश्न मनाएंगे हम जीतने के बाद,
जब अपने हो साथ ।।-
सारी खुशियां मिला के देखी,
तुझसे बिछड़ने का ग़म ज़्यादा निकला।-
हम तो उस, पुराने मकान, से है.....,
जिसे लोग, दूर से ही देख, चल देते।
काश! उस इंसान ने, इफ़ाज़त से हमें, रखा होता,
तो शायद! अभी, हम में , कई खुशियाँ, बसती।।-
अपनी खुशियां लुटा कर उस पर कुर्बान हो जाऊ
काश कुछ दिन उसके दिल का मेहमान हो जाऊं-
तुम्हारी खुशियां थी, बातें थी, बहाने थे
बात इतनी सी है कि तुम मेरी मोहब्बत थी..!-