ख़्वाबों कि दुनियाँ सँजोकर हक़ीक़त से कहाँ तक भाग पाओगे
इन झूठी खुशियों में असली खुशियाँ तुम कहाँ तक ढूँढ पाओगे-
एक दिन कलम चलाऊंगी
उसकी धज्जियाँ उड़ाऊंगी
क्या किया उसने भरोसे का
हर एक को बताऊंगी-
गैरो से मिले गम थे जो अपनों में वो बाँट बैठें
अपनों के हक़ की खुशिया वो गैरों में लूटा बैठें
नाकामियो में साथ थे जिनके वो शोहरतो में भुला बैठें
अपनों से करने वाली बातें भी वो आज महफ़िलों में सुना बैठें-
बचपन से लेकर जवानी तक
बेशुमार मोहब्बत उससे एक तरफा किया।
जब आया मुझे अपनाने वो
जिंदगी से ही नहीं, दिल से उसे दफा किया।-
ओ मेरे खुदा मैंने तो तुझसे हर इबादत में खुशियां मांगी थी तूने तो गमों से दोस्ती करा दी तेरी यही चाहत है तो यही सही हम तेरे दिए गमों में भी खुशियां तलाश लेंगे...❣️
-
मेरी दो पल कि जिन्दगी में,
मेरे लिए पल-पल दुआंए कोई और माँग रहा हैं |
जिन्दगी हैं मेरी ,
पर जीना कोई और चाह रहा हैं |
दर्द ही दर्द हैं मेरे सिने में ,
हर तड़प वो जानता हैं |
दुआंवो के जरिए ,
मेंरा दर्द खुदा से अपने लिए मॉंग रहा हैं |-
उसे भी प्यार था।
मुझे भी प्यार था।
दोनों की जुबान पर
फिर भी इंकार था।-
हमें चाँद चाहिए था...
उसकी तारों पे नजऱ थी,
पहली पहली मुहब्बत की सज़ा
इतनी होगी क्या ख़बर थी,
ख़ुशियाँ गिरबी रखके
गम उधार मिल गए
बस.. थोड़े से कर्ज़ की
क्यूँ हैं यह किस्तें उम्रभर की..!
-
यह वक्त भी गुजर जाएगा
जब रुक ना पाईं खुशियां
तो क्या ग़म ठहर पाएगा ??
-