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तेरे साथ में ही बहार थी मुझे ख़ुद खिज़ा ये बता गई
थी उरूज़ पे, जो भी याद-ए-इश्क़ ये जवाल में उसे खा गई।1
कभी सुन सका न मेरी सदा, तेरे वास्ते मेरी है वफ़ा
किया अनसुना मेरा फ़लसफ़ा, ये दुहाई मुझको सुना गई।2
मुझे ये बता मिला क्या तुझे, ये भी सोच तूने ये क्या किया
दिया तोड़ तूने ये दिल मेरा, तेरी बेवफ़ाई जता गई।3
बड़ी बेरहम थीं हक़ीक़तें उन्हें क्या था हक़ जो कहा मुझे
न तू देखना कभी ख़्वाब तक, मुझे नींद से ही लड़ा गई।4
है "रिया" ख़याल किसे मेरा, ये मेरी उदासी ही साथ है
हुई तन्हा जब कभी मैं अगर, तो ग़ज़ल तेरी ही वो गा गई।5
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