QUOTES ON #खानदान

#खानदान quotes

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जैसे ऊपरवाले की मर्जी के बगैर आसमान नहीं चलता
वैसे ही बेटिओ के बगैर ख़ानदान नहीं चलता !!!

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25 AUG 2020 AT 16:57

संभल कर चल तुझे सारा जहां देखता है..
जो ईश्क करता है ,,
कहा खानदान देखता है..!!

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4 OCT 2018 AT 15:21

कोई कहो उनकों की ज़रा झाँके अपने गिरेबान में
जिन्हें कमी दिखती है मेरे संस्कार और ख़ानदान में

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3 OCT 2020 AT 22:31

सर से लेकर पाँव तक
डूबी है नारी की देह
कर्ज़े में 'इज़्ज़त' के
..
बेटी है बहन है बहू है
तो खानदान की इज़्ज़त है
पत्नी है माँ है
तो खानदान की इज़्ज़त की ठेकेदार
भले घर में नारी के इन रूपों की
कोई 'इज़्ज़त' ना हो
..
केवल और केवल .. इसीलिए
इज़्ज़त के नाम पर 'इन्हें' ही लूटा गया
..
ये सही नहीं होता क्या ??
कि बजाय इसके
कि इज़्ज़त की खूँटी पर
ये रोज़ चढ़ाई और उतारी जाती
.. 'इन्हें' इज़्ज़त दी जाती

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Dheeraj Barnwal

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12 JUL 2020 AT 15:17

है महफ़िल शायरों की इनकी भी अपनी आन है
हैं मूर्ख कुछ ऐसे जो कहते इनमें नहीं जान है
शब्दों को पिरोने की कला जो सिख ली कुछ ने
कहते फिर रहे सबसे शायर मेरा पूरा खानदान है

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21 SEP 2020 AT 17:40

नाक का स्थान

रचना
(अनुशीर्षक में पढ़े)

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5 AUG 2020 AT 20:29

बेवफ़ाई ने ख़ामोश किया
घुँघरू में कहाँ दम था
हम भी थे अच्छे खानदान के
सारे गाँव में चर्चा था...

#supressed voice

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पुरा पढ़े ✍️🙏
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जो चुप रह सके वो ज़ुबान कहाँ से लाऊँ
जो सब सह सके वो इमान कहाँ से लाऊँ

मुफ़लिसों ने कहा की रोटी भी मुनासिब नहीं
कोई भूखा न रहे वो हिंदुस्तान कहाँ से लाऊँ

माँ भी बचा लेती है अब अपने वेह्शी बेटे को
जिन्हे शर्म आती हो ऐसे इंसान कहाँ से लाऊँ

नोच लेते हैं जिस्म अनाथ बच्चियों के रखवाले
बाग़ को ना लूटे ऐसे पासबान कहाँ से लाऊँ

जो भी गुनहगार मिला सबका मज़हब एक था
किसने किसने सच बोला,वो पैमान कहाँ से लाऊँ

फाइलों में ही ज़िंदा हैं जिनका शिनाख्त हुई नहीं
जो बच गए इन दंगों में वो खानदान कहाँ से लाऊँ

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25 DEC 2018 AT 7:49

कहाँ जाती हो मेरी जान पलट आ तूँ
अभी भरे नही दिल के अरमान पलट आ तूँ

बर्फ की तरह आये और पिघल गए,,
तुम दो घड़ी को आये और निकल गए,,
ओ ,मेरे दो पल के मेहमाँ पलट आ तूँ,,
अभी भरे नही दिल के अरमान पलट आ तूँ

तेरे वस्ल के सपने ही देखा किये रात भर,,
और आयी हो देनें चंद मुलाकात भर,,
तुझसे ही होगा अब मेरा खानदान पलट आ तूँ,,
अभी भरे नही दिल के अरमान पलट आ तूँ,,

सताती रही हो मुझे किराएदार की तरह,,
अब दिसंबर तो मनाने दो त्यौहार की तरह,,
क्यों रूठी हो मेरी जान पलट आ तूँ,,
अभी भरे नही दिल के अरमान पलट आ तूँ,,

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