writer_shukla   (पंडित शैलेन्द्र शुक्ला)
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Joined 16 June 2019


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26 SEP 2024 AT 14:31

लिख दूं मैं तो इश्क,मुहब्बत, लिख दूं मैं ही प्यार।
ढूंढ रहा हर जगह हूं मैं,मिले कोई तो मुझको यार

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21 FEB 2024 AT 20:03

कुछ उनकी तो कुछ अपनी सुनाने आया हूँ ,
मुझे भूल गए हैं जो भी उन्हें बताने आया हूँ ,
जिंदा हूँ मैं भी थोड़ा ध्यान रखो मुझ पर भी ,
बहुत दिन हो गया फिर तुम्हें सताने आया हूँ ।

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10 NOV 2023 AT 11:56

सन्देश सभी को दे जाऊं कुछ देश हित भी कर जाऊं
इच्छा इतनी है बस मेरी कि सब के मन में बस जाऊं

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10 NOV 2022 AT 7:43

यूँ ही गीत मुहब्बत के गुनगुनाया कीजिए
कभी प्रिय कभी प्रियसी को बुलाया कीजिए
कहेगी कामयाबी भी पास आकर एक दिन
क्यों रूठे हैं जी जरा हँसकर बुलाया कीजिए

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8 NOV 2022 AT 20:25

बड़ा नटखट है ए मुरली मनोहर
ए तो गोकुल में रास रचाता है

माखन भी खाए ए मटकी भी फोड़े-2
गोप ग्वालन को बहुते रिझाता है
बड़ा नटखट है ए मुरली मनोहर ..........

गईया चराए जाय उपवन में
बसता है ए सबके चितवन में
धुन मुरली पे सबको नचाता है
बड़ा नटखट है ए.........2

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3 FEB 2022 AT 19:42

यूँ रिश्ते की अहमियत मत गुमनाम कर दो
ए दिल की बात है साहब इसे कोई नाम दो

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3 FEB 2022 AT 18:49

वक्त की नज़ाकत समझ खुद को सम्हाल लिया
जैसा चाहा उसने मुझे मैंने खुद को ढाल दिया

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18 JAN 2022 AT 22:19

अब क्या कहें उन्हे हम जो खुद को भूल बैठे हैं
कांटों के बीच बनकर जो गुलाब फूल बैठे हैं
लेकर घूमते हैं जो शिकायत अपने जीवन की
ना जाने क्यूँ वे जीवन की खुशी को भूल बैठे हैं

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10 JAN 2022 AT 23:58

हिन्दी की करते बातें और अंग्रेजी गुण गाते हैं
ना जाने कुछ ऐसे लोग कहाँ से बात बनाते हैं
कहते हिन्दी शान हमारी हिन्दी ही सम्मान है
पर चोरी से सबसे कहते अंग्रेजी मेरी जान है

कहना चाहूँ उनसे मैं दो नाव सवारी ठीक नहीं
अंग्रेजी बस भाषा है हिन्दी के जैसी रीत नहीं
बोल सको तो सच बोलो या हिन्दी या अंग्रेजी
माँ ही माँ रह सकती कोई और बने तो ठीक नहीं

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9 JAN 2022 AT 0:22

उलझी हुई है जिन्दगी कुछ इस तरह इस दौर में
हम ढूंढते से फिर रहे अपनी कमी किसी और में

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