पल-पल तुम्हारा व्यवहार बदल जाता है ,
कभी पत्थर तो कभी मोम सा पिघल जाता है,
एक अनोखी सी आस हो तुम ....
कभी थोड़ा सा बादलों की तरह धुंधला ....🌥️
कभी पूरा विश्वास हो तुम ......
इन विशेषताओं के कारण ही तो
आकाश हो तुम .......
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मैं सब समझता हूं...
अक्सर भीड़ में खुद को खुद से बातें करते देंखता हूं क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!!!
अकेलापन मुझे भी रोज मुझे काटने को दौड़ता है पर फिर भी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ा करता हूं क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!
अक्सर रोता है एक शख्स मेरे आगे, रोज आईने से उसे देखा करता हूं, क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!
देख ये तमाशा जबान मचलती है दिल तड़पता है पर क्या करूँ कुछ नहीं कर सकता हूं क्योंकि मैं सब समझता हूँ..!!!
छोड़ देते है लोग अक्सर जब मिल जाते है लोग कुछ बेहतर फिर जब जाता हूँ अपनी तन्हाइयों से मिलने, क्योंकि मैं सब समझता हूं...!!
तो मारती है वो भी ताना ये कहकर कि आ गए ना यही उनसे भी मिलकर, फिर मुस्कुराकर कर मेरा वही जवाब की कोई नहीं, थी उनकी भी मजबूरी मैं सब समझता हूं..!!!-
कितने अजीब हो,
समझाने भी उसे चले हो,
जिसने ये दर्द दिया,
कितना लगाव है तुम्हे उससे,
उसी के हाथों फिर से,
अपना ज़ख्म दुखाने चले हो।-
#क्योंकि पानी का कोई रंग नहीं है...
जिसमे चाहो उस रंग में ढल जाता है !
आत्मसमर्पण का पाठ सिखाता है !!
पानी के बिना जीना संभव नहीं है !
फिर भी पानी का कोई रंग नहीं है !!
ये अपना मार्ग स्वयं बनाता है !
आत्मनिर्भर का पाठ सिखाता है !!
पानी के बिना जीना संभव नहीं है !
फिर भी पानी का कोई रंग नहीं है !!
नदियों का पानी सागर में जाता है !
एकता का पाठ सिखाता है !!
पानी के बिना जीना संभव नहीं है !
फिर भी पानी का कोई रंग नहीं है !!
मानव तू क्यों इतना पानी बहाता है !
जबकी पानी तुम्हे जीना सिखाता है !!
पानी के बिना जीना संभव नहीं है !
फिर भी पानी का कोई रंग नहीं है !!
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आज भी शौक है.....
मुझे उसकी तस्वीरें इकठ्ठा करने का,
वही है तो है जिन्हें हक़ से मैं अपना कहता हूँ!😊-
वो कहता है कमाकर पेट भरता हूं तेरा
क्या वो भूल गया मैं भी भूख मिटाती हूं उसके तन की शिकार बनती हूं चुपचाप उसकी हवस की ।।-
जिन्दगी मे कभी प्यार करने का मन हो तो
अपने दुःख से प्यार करना
क्योंकि दुनिया का दस्तूर है
जिसे जितना चाहोगे
उसे उतना दूर पाओगे....-
किसी को ना पाने का ग़म वक़्त के साथ और गहिरा हो जाता है
मगर किसी को पाने की खुशी वक़्त के साथ फिकी पड़ जाती है-
मीठी सुबह के लिए नमकीन रात जरूरी हैं!
सच्ची मुस्कुराहटों के लिए आँसू जरूरी हैं!
पागल हैं हम.. समझते नहीं हैं
खुशियों के लिए परेशानियाँ बेहद जरूरी हैं!
और फिर कौन खुदा को याद करता
जो गम ना होता जिंदगी में
सच, सुकून के लिए उतार चढा़व जरूरी है!
मुस्कुराओ के दिक्कतें खुद चल के पास आई हैं
क्योंकि मज़बूत बनने के लिए लड़ना जरूरी है!
मेरी गलतियाँ भी मुझे बेहद प्यारी हैं दोस्तों
दुनिया की नज़रों में जो सही था
उसने दुनिया में जगह बनायी..
पर शायद गलतियाँ ही हैं जो खुदा के करीब लाई हैं
पते की बात है.. सीधी सी
कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरूरी है!
बहुत आसान है पाना मंजिलें सारी
निकल पड़ो रास्तों पर अभी की अभी
उत्तम बनने के लिए शुरूआत करना जरूरी है!-