ख़त्म कर रहा हूँ
मैं अपना सफर ,
झूठी मुस्कुराहट ओढे़ बैठी हैं ये ड़गर |
क्यूँ कुछ बातों से
मैं अाज भी अंजान हूँ ,
अपनी नाकामयाबी पर मैं तो शर्मसार हूँ |
मेरे होने या ना होने से
किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता ,
चाहे रहूँ जिंदा या रहूँ मुर्दा |
क्यों ये दर्द
तेरी यादों से बेहिसाब हैं ,
क्यों ये दिल मेरा आज भी परेशान हैं |
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क्यूँ सोच में तू पड़ा है 'धर्मेंद्र'
क्या तुमको परेशानी आई है।
मखमली गद्दे में बताओ भला।
किसने चैन की नींद पाई है।।
राहों में चलते-चलते फिर क्यूँ।
मन में नींद की तलाश जगाई है।।
घने अँधेरे में भी आगे बढ़ना।
हमने तालीम जुगनू से पाई है।।-
हर बार रूठना भी तो अच्छी बात नहीं..!!
ऐ खुदा...
फिर ये जिंदगी मुझसे नाराज क्यूँ है..!!-
क्यूँ मुझसे आँख चुराते हो,
प्यार नहीं अब मुझसे क्यूँ खुल के नहीं बताते हो।
हाँ माना अब मैं खास नहीं,
अब हमारे बीच वो बात नहीं।
बात ख़त्म हो गई तो दूर क्यों नहीं जाते हो,
क्यूँ हाल पूछ कर मुझे तुम सताते हो।-
होटों पे हसीं पर दिल
मैं ये गम क्यूँ हे
हाले दिल हुआ जो बयान
तो आँखे नम क्यूँ हे...
ख्वाब और सिक्कों को
तराजू मैं तोला हमेशा
एक कम क्यूँ हे.....
मंजिल ताकतें -ताकतें शाम
हो गईं शिखर पर पहुँच
कर भी गम क्यूँ हे..
सब के दिलो मैं एक
लकीर हो गईं
इनसानियत का कद रहा
बड़ा पर वो रहे बोना
ऐसी अजीबी गरीबी
ख्वाईश क्यूँ हे............
Shabnoorkhan✍️
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क्या कुछ नहीं लूटा दिया उन पर हमने
मगर छोड़ो काबिल ना बन सका ।।-
तुम तो नहीं अपनी मोहब्बत पे क़ाएम
हम जफ़ा करें क्यूँ करें किस लिए करें-