QUOTES ON #कैदी

#कैदी quotes

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25 JUN 2019 AT 22:24

हम्म हम अपने ही मन के कैदी है
लाख कोई कहे हमें किसी बात के लिए
मगर हम हमेशा मन की सुनते है
ये बन्दिश कोई मर्जी नही
या कोई आदेश नही ।।
और न ही कोई मजबूरी ।।
बल्कि हम तो अपने ही मन के कैदी है

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3 MAY 2018 AT 17:10

कैद, कर लिया है हमने तुम्हें, अपनी इन निगाहों में।
बस! हम भी, कैदी बन जाना चाहेंगे, तेरी इन महफूज़ बाहों के।।

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5 JUL 2017 AT 12:29

कैदी हूँ मैं, पर
बंदिशें मुझे दिखती नही।
अकेली हूँ मैं, पर
रंजिशें मुझे चुभती नही।

रखा ही क्या है
सही गलत के इस दिखावे में।
जाना सभी को है एक जगह
उसके एक बुलावे पे।

बुनकर दिखावे का एक चुनर
ओढ़ तो ज़रूर लोगे,
पर पीछे छिपे उस जिस्म का
बोलो तुम क्या करोगे?

रोंद कर किसी की रूह को
संसार किया लहूलुहान,
और एेसी आजादी का
करते हो तुम गुणगान?

तैनात थे सिपाही जहाँ, उन
सरहदों को तोड़ मैं चलती रही।
हाँ, कैदी हूँ मैं आज, पर
बंदिशें मुझे दिखती नही।।

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8 FEB 2018 AT 10:05

कुछ इस तरह वो मुझे अंजाम-ऐ-जुदाई दे गया ,
वो जाते हुए मुझे हमेशा चमकने की दुहाई दे गया !

भूल कर सारे वादे , तोड़ दिए सब रिश्ते उसने ,
मानो इक कैदी को ज़िन्दगी भर की रिहाई दे गया !

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11 SEP 2020 AT 17:16

पंक्षी कहता अपनी कहानी ,मेरे शब्दो की जुबानी..
पिंजरे मे ना होता तो आज मैं जिन्दा होता?
पिंजरे मे रहकर ना मैने उड़ना सीखा ,
दुश्मनो से ना मैने बचना सीखा ,
पिंजरे ने ली मेरी कुर्बानी,
पंक्षी कहता अपनी कहानी ,मेरे शब्दो की जुबानी....
एक दिन मैं उड़ गया पिंजरा खोलकर,
सारे बन्धनों को पीछे छोड़कर,
मेरी मौत कर रही थीं मेरा इन्तजार,
मेरे देह को झपटने के लिए दुश्मन थे तैयार,
जंगल की परिस्थितियाँ थीं मेरे स्वभाव से भिन्न,
मैं तो रहा पिंजरे में मालिको के अधीन ,
मैने सीखा नहीं जंगल में रहना,
मैनें सीखा नहीं दुश्मनों से लड़ना,
मैनें समझा जिसको अपना,मुझे खाने का उनका था सपना,
पिंजरे से तो हो गया आजाद, जिन्दगीं की जंग गया मैं हार,
दुश्मनो के लिए बन गया भुख का आहार,
पिंजरे ने ली मेरी कुर्बानी,
पंक्षी कहता मेरी कहानी, मेरे शब्दो की जुबानी....
मैनें जब किया नहीं कोई गुनाह,
मुझे मिला क्यों पिंजरे में पनाह,
मुझे बन्द रखने में मिलता हैं इनको मजा,
इस गुनाह की क्यों नहीं मिलती है इनको सजा,
एक ने बेचा ,एक ने खरीदा इनकी मर्जी,
किसी ने सुनी नहीं मेरे मन की अर्जी,
सबने चलाई सिर्फ अपनी मनमर्जी,
मुझे बेचा या खरीदा नहीं जाता, तो आज मैं जिन्दा होता,
पिंजरे ने ली मेरी कुर्बानी,
पंक्षी कहता अपनी कहानी, मेरे शब्दो की जुबानी...

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20 JUL 2020 AT 9:27

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29 DEC 2017 AT 16:53

हाथों की लकीरों में
मंजर खुने है तकदीरों के,
लेकिन हम तो कैदी
हैं आज भी जंजीरों के

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30 JUL 2017 AT 20:21

यूँ तो हम बादशाह हैं, हमारी सल्तनत तेरे दिल तक है...!
पर सच तो ये है,
हमें तो तेरी यादो ने अपना कैदी बनाया हुआ हैं....!

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30 JUN 2020 AT 22:52

कैदी

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चाहा तुझे इस कदर की गज़लकार हम हो गए ,
निहारा तुझे इस कदर की आशिक़ हम हो गए ,
संवारा तुझे इस कदर की कलाकार हम हो गए ,
रूलाया तुझे इस कदर की गुनहग़ार हम हो गए ,
तुने प्यार किया इस कदर की कर्ज़दार हम हो गए ,
तेरा साथ निभाया इस कदर की तेरे कैदी हम हो गए ।
और अब
तेरी जैल में आजीवन कारावास की सज़ा पाना चाहते है ।

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