कृष्ण जैसे इश्क़ की परिभाषा कौन लिखेगा
हज़ारो सखियों से घिर कर भी
हृदय से बस राधा नाम कौन रटेगा-
आज की मीरा
आज की मीरा प्रैक्टिकल, हकीक़त में जीती है।
विष न राणा देता है, न ही मीरा पीती है।।
न वो माथा पटकती है न दर दर भटकती है।
ससुराल या नैहर सब का मान रखती है।।
मीरा और राणा दोनों अब संग घर में रहते हैं।
कान्हे को उनके बच्चे प्यार से मामा कहते हैं।।
हर राणे में कान्हा है, हर कान्हे में राणा है।
मीरा भी समझती है मूव ऑन का जमाना है।।
कुछ मीरा और कान्हा की बात बन भी जाती है।
कुछ घर से भाग जाते हैं, कुछ की शादी हो जाती है।।
बैकुंठ धाम में कान्हा चैन से बांसुरी पकड़ता हैं।
किसी पागल के लिए अब न वो धरती पे उतरता है।-
कान्हा जी के जन्मोत्सव की
आप और आपके परिवार को
ढेर सारी शुभकामनाएं🙏🙏🙏-
जब सूरज की किरण से पहले चांद ने चांदनी बिखराई,
रात के पहर में जन्माष्टमी है आई।
आज जन्मदिन है
बांके कुंज बिहारी का, मथुरा के कृष्ण मुरारी का
ग्वालों के गोपाल का, गोपियों के घनश्याम का
गली गली के बच्चो ने, गिरधर का रूप धरा है
कोई गोपाल तो कोई मनमोहन, कोई बंसी बजैया बना है।
आज जन्मदिन है
गोकुल के कुमार का,वृंदा के गोविंद का
नटवरलाल नंदलाल का, माखनचोर गोपाल का
माखन की मटकियां, फोड़ने में मची होड़ है
माखन मिले सबको, यही कृष्ण का संदेश है।
आज जन्मदिन है
यशोदा के दुलारे का देवकी के कान्हा प्यारे का
द्वारका के भगवान का,अर्जुन के सारथी का
घर घर में आज बना, जरूर कोई मिष्ठान है
बंटे सभी धर्मों में ये, यही कृष्ण का संदेश है।
आज जन्मदिन है
मोरमुकूट धारी का, बंसी बजाने वाले का
सुदर्शन धारी का, लाज बचाने वाले का।
समय समय पर बड़ा नारी के प्रति अत्याचार है
सबके सामने और अकेले हो सम्मान नारी का
यही कृष्ण का संदेश है।
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प्रेम मोह
1. समर्पण का भाव 1. पाने की इच्छा
2. निस्वार्थ/परमार्थ 2. स्वार्थ
3. मुक्ति/स्वतंत्रता 3. बन्धन
4. सशक्त/सक्षम 4. असहाय
5. वैराग्य 5. आसक्ति
6. दानशीलता 6. लालसा
7. मौन/शान्ति 7. क्रोध का भाव
8. सुख की अनुभूति 8. दुख का कारण
9. समानता 9. अधिकारकता
10. विश्वास 10. प्रमाण
11. धर्म की स्थापना 11. अधर्म का कारण
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त्याग सिंहासन नंगे पग ही,
मित्र से मिलने कान्हा दौड़े,
देख दीन दशा सुदामा की,
गले लगाकर राजन रोए।
राधा के प्रति प्रेम,
सुदामा के प्रति मित्रता,
हनुमान के प्रति भक्त वात्सल्य,
में कृष्ण ने कभी भी किसी एक को ज्यादा महत्व नहीं दिया,
सभी को समान महत्व ही दिया,
वास्तव में प्रेम,मित्रता और भक्ति में तुलना का स्थान ही नहीं है।-
दर्शन
तू हे
तुझ बिन मन नीरस वृंदावन
हे गिरिधर दर्शन दो पधारों
हर्षित कर दो मेरा जीवन।
माखन खाओ मुरली बजाओ
कुटी उपवन को कर दो पावन
हे बंसीधर दर्शन दो पधारों
हर्षित कर दो मेरा जीवन।
गोपी संग खेलो रास रचाओ
रंग भरो तुम सारा मधुवन
हे मोरमुकुटधर दर्शन दो पधारों
हर्षित कर दो मेरा जीवन।
- प्रवासी | Pravasi-
तुम ही माया वैराग भी तुम हो
अंतरतम को ज्योतित करती हवनकुंड की आग भी तुम हो।
तुम बचपन की स्मृति मधुर, यौवन का अभिमान भी तुम हो।
जड़ में तुम चेतन में तुम हो, मनवता के प्राण भी तुम हो ।
जन्म मरण के बन्धन तुम हो, ज्ञानी का निर्वाण भी तुम हो।
अबला द्रौपदी की तुम पुकार, रणचण्डी का संहार भी तुम हो।
ब्रह्माण्ड सकल के आदि बिंदु, गत और अनागत काल भी तुम हो।
तुम काव्यों के हो छन्द अमर, गीतों में लय ताल भी तुम हो।
तुम पीड़ा हो, तुम ही मुक्ति, तुम बाधा हो ,तुम ही युक्ति
तीसरे नयन की अग्नि विनाशक, सृजनकर्ता काम भी तुम हो।
मन में तुम हो, तन में तुम हो, जीवन के आयाम भी तुम हो।
Ashutosh Rai
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हम आये रहने को तेरी गली मगर नसीब में मिला मीन नगर उर्फ़ मछली नगर!!😄😄🤪🤪-