उम्र का शिकंजा बना रहा चेहरे पर बुढ़ापे का जाल खुरच रहा यौवन का रूप अपार झुर्रियों भरे काँपते हाथों में सदा सदा रखना अपना हाथ उम्र का हरेक दौर की तरह इसको भी खुशनुमा बनाये रखना मेरे प्यार — % &
हम यहाँ धूप आग सकते फिर भी काँपते एक वो भारत माँ के लाल #बर्फ_की_चादर ओढ़े सीमा पर डटे रहते... हम यहाँ हल्की ठण्डी हवा से घबराते ये बर्फ़ीला मौसम ये सर्द हवाएं उनको भी छूकर निकलती होगी वो ये कैसे सहते होंगे अपना फर्ज वो यूँ निभाते होने सबकुछ सहक़र दुश्मन का सामना वो करते होंगे