Subhash Bishnoi   (Subhu500.)
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Joined 27 April 2018


Joined 27 April 2018
16 DEC 2021 AT 17:20

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16 DEC 2021 AT 17:15

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21 OCT 2021 AT 4:35

कहने को बहुत मिले भी हमें भी साथ चलने वाले,
मगर बात जब ठहरने की हुई तो कोई शख्स नहीं रुका।

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30 SEP 2021 AT 10:53

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21 AUG 2021 AT 1:46

कभी सदियाँ एक लम्हा.......,
कभी एक लम्हा सदियों सा लगता है,
में सो भी जाऊँ तो मेरी आँखों मे,
तेरे ख़्वाबों का एक शहर जगता है।
ज़रा सा भी रोकूँ तो कैसे इसे,
ये मुठ्ठी से रेत सा फिसलता है,
जैसा भी है, अच्छा है, ये वक़्त,
एक अरसे से जरूर बदलता है।।

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9 JUL 2021 AT 1:19

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9 JUL 2021 AT 0:57

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4 JUL 2021 AT 14:42

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30 JUN 2021 AT 1:47

हयात-ए-ज़िन्दगी के आखिरी कत्ल है हम,
और कातिलाना ही रहा है मिज़ाज-ए-ज़िन्दगी।

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7 JUN 2021 AT 22:00

क़ीमत उन्हीं को मालूम जिनको में हासिल नहीं,
यही यकसानीयत है वक़्त में और मुझमें।

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