बीच मे फिर जहाँ के सितम आ गए,
सोचते हैं कहां आज हम आ गये..?
चाहते हैं तुम्हें हम सनम इस कदर,
काश कायम रहे ये नशा उम्र भर.!
बीच क्यों इश्क़ के दर्दो गम आ गये?
सोचते हैं...
दूरियां थी बहुत फिर भी तुम पास थी,
सुन सकूंगा तुम्हें हां मुझे आस थी..!
दरमियां फासले बेरहम आ गये..!
सोचते हैं...
खुश रहो है दुआ जो हुआ सो हुआ,
आग अब बुझ गयी उठ रहा है धुआं.!
अश्क़ यूँ आंख को करने नम आ गए!
सोचते हैं...
सिद्धार्थ मिश्र
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