QUOTES ON #कम्पन

#कम्पन quotes

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27 NOV 2020 AT 10:11

"गति" वायु का गुण है, कर्म है।
शरीर के अंगों की ऐच्छिक-अनेच्छिक गति,
का कारण भी वायु है।
जब यह गति शरीर को
अस्थिर, कम्पित या जड़ करने लगे,
तब यह, वायु के रोग कहलाते हैं।
आधुनिक विज्ञान में
Neurological Disorders कहलाते हैं।

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4 OCT 2020 AT 12:13

आपका ध्यान इतना गहरा होना चहिए की आपका मौन सधा रहे किन्तु देह का रोम-रोम कम्पित हो उठे !
#मनु

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10 JUL 2020 AT 23:34

"कम्पन"
कभी महसूस किया है.... फड़फड़ाना??
अधरों का नहीं...
आंखों के नीचे के सेतु का,
जहाँ पलकें कोशिश किया करती हैं...
थामने की.. अश्रु सैलाब,
बड़ा विचित्र अनुभव है...
आशा है आपने ना ही किया हो...
और न करें.. इसे अनुभव,
अच्छा नहीं है,
पीड़ा की निकासी का माध्यम है...
जब गहनता असीमित हो,
बोलना निषेध हो...
तब ज्यों सैलाब से पहले होता है कम्पन...
कुछ वैसा ही, यहाँ भी होता है...
और सैलाब के निकल जाने के बाद भी,
जारी रहता है...
वही विचित्र कम्पन... निद्रा के आलिंगन तक।।

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5 OCT 2020 AT 11:07

आपके विचार केवल आपकी सूक्ष्म कोशिकाओं को ही प्रभावित नही करते अपितु समस्त प्रकृति कम्पित होती है, आपका एक संकल्प/आत्मबल और पूरी कायनात नतमस्तक है आपके संकल्प के समक्ष!!
#मनु

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मेरे हृदय और मन-मस्तिष्क पर
तुम्हारी स्मृतियों के मौन निमंत्रण ने
कई बार मुझे विक्षिप्त किया है,
मन व शरीर सहम जाता है,
मुख से निकलने वाले सभी स्वर,
कंपन की मुद्रा में होते हैं,
मैं असमर्थ होता हूं,
अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में,
और जब इन मौन रूपी शब्दों को
समझने वाला कोई न हो,
तब,
मैं अपने हर शब्द को गूंगा कर देना चाहता हूं
ताक़ि उन शब्दों की
पुकार को कोई भी सुन न सके...

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28 JUN AT 16:47

चिड़िया...
हर दिन की भाति आज भी
नीले अनंत के चमकीले
धब्बे की मुस्कराहट
हँसी में तब्दील हो रही थी।

मैंने नीले अनंत की ओर देख
अपना मुँह बनाया
क्योंकि उसकी
बीती रात की करतूत से,

जंगल की हर जड़ तर थी
मेरे शरीर में तेज #कम्पन
उसके मकसद को
असफल करने की पहली जरूरत है।

कुछ तेज़ कम्पन के पश्वात
मेरे पर परवाज़ को तैयार हैं।
और देखते ही देखते
मेरी नज़रों के सामने सब सतह है।

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14 APR 2018 AT 9:56

लड़खड़ाते वो हाथ
रेल्वे रिज़र्वेशन काउंटर तक वो बड़ी तेजी से आये , फॉर्म लिया और लगे भरने । ये कोई 80 वर्षिय बुज़ुर्ग थे । पास में फॉर्म भर रही युवती से कुछ पूछ भी रहे थे ।
उनके हाथों में इतनी कम्प्न थी कि उन्हें लिखना संभव ही नही था ।
लाइन में लगा सोमेश ये देख रहा था । वो उनके पास गया बोला मुझे दे में आपका फॉर्म भर देता हूँ । फ़ॉर्म में उनके पुत्र , बहू , पोते , पोती के 5 वे महीने कि यात्रा का प्लान था ।
उन बुज़ुर्ग ने सोमेश को बहुत बहुत आभार दिया ।
सोमेश ने लाइन में वापिस आकर सोचा कि उनके 45 वर्षीय पुत्र को ये तो पता होगा कि पापा कैसे लिखेँगे ये सब चूंकि उनके हाथों में इतना लड़खड़ाना है तो ।
इतनी उम्र में भी उन्हें क्यो भेजा ? उनका नाम तो नही था जाने वालों में क्यो ? ये बुज़ुर्ग घर पर अकेले रहेंगे क्या ?
सोमेश बार बार उस बुज़ुर्ग को देख रहा था जो अब लाइन में अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे
जैसे ही उनकी नज़र सोमेश से मिलीं उन्होंने एक बार फ़िर हाथ जोड़ कर सोमेश को धन्यवाद दिया ।
पर सोमेश तो अपने क्यो में ही खोया था ..........या फ़िर वह बुज़ुर्ग ही अपना वक्त काटने के लिए ये छोटे छोटे काम सहज हो करते हो । नाहक ही उस पुत्र पर संशय तो नही कर रहा वो ।
वो सर झटक कर मुझे क्या ? सोचते सोचते वहा से निकल गया पर वो क्यो अब भी उसके सवालों में था जरूर कम्प्न वाले हाथो का स्मरण आते ही ।

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