Jitendra Pratap Singh(मुन्तजिर)   (जीtendra)
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Joined 1 August 2019


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Joined 1 August 2019

भौतिक जगत की सभी असाधारण आत्माओं को एक साधारण कृष्ण के दास की तरफ़ से अंग्रेजी नववर्ष की ढ़ेरों शुभकामनाएं....
भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना है कि वर्ष 2024 आपके जीवन में हर्ष, घुमक्कड़ी एवं संतोष की बाढ़ लाए। आप पूरे वर्ष हँसते मुस्कुराते रहे। आपकी आभा में बढ़ोतरी हो। आपसी स्नेह एवं दुलार बना रहे....
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हरे कृष्णा

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मेरे जीवन में सदा मिले तुम्हारा साथ,
कष्ट, विघ्न, गम दूर हो कृपा करो जगन्नाथ...

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तेरे इश्क में नहाकर निखर जाता हूं मैं,
तेरा ख्याल जब आए संवर जाता हूं मैं...

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जब आंखों से नींदों का वास्ता नहीं होता,
कभी-कभी हम भी किताब खोल लेते हैं...

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छुपा ले ना मां,
अपने आंचल में छुपा ले मां,
जब से तेरी गोद छूटी है,
हर रोज़ एक चोट लगी,
पर दुलारने वाला कोई नहीं,
अब आंसू दिखते नहीं बस अंदर ही अंदर घुट रहा हूं!
बड़ा होना इतना अकेला कर देगा,
सोचा ना था,
बस दर्द में जी रहा हूं,
आंसू पी रहा हूं,
मां शायद मैं मर रहा हूं...

❤️मां❤️

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कभी भाई,
कभी friend,
तो कभी .... बताती है,
जब मैं मना करूं ... बोलने से
तो यही कहकर मुझे
बार बार चिढ़ाती है,
पर सच्ची में रिश्ता,
वो दिल से निभाती है...

कभी डांटती,
तो कभी समझाती है,
मेरी बहन होने का
फर्ज वो
बड़ी समझदारी से निभाती है...

मुझे वो पागल बोलती है,
तो कभी "दिमाग नहीं" कहती है,
लेकिन जब मैं परेशान हो जाऊं,
तो intelligent भी बताती है,
हालांकि हममें कोई रिश्ता नहीं,
पर जो मैंने बहन का रिश्ता बनाया,
कसम से पूरी शिद्दत से निभाती है...
😞😞😞

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मर जाता है कहीं अंदर मेरा वजूद,
लहज़ों में बेरुखी जब नज़र आती है...
😞😞😞— % &

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कैलेंडर बदल जाने से कुछ नहीं बदलता,
मैं कल भी मुंतजिर था और आज भी हूं...

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वो तो मेरी शायरी में रह गई,
जिसे मेरी जिंदगी होना था...

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तुम्हारे शहर जाती है रोज गाड़ी,
आने का बहुत मन करता है...

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