किसी व्यक्ति की उंचाई नापने के तीन पैमाने हैं।
हृदय की मधुरता,
उदारता और
विनम्रता।-
अपने ज्ञान, पद, शरीर, धन, बल
की श्रेष्ठता सिद्ध वही करता है।
जो इन सभी में स्वयं को अंतर्मन
से निर्बल मान चुका होता है।
ऐसा व्यक्ति द्वेषी, क्रोधी, नकली
होता है।
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उसे चाहने वाले बहुत थे।
वो कितना ख़ुशनसीब था।।
मैने उसी से इश्क़ कर लिया।
मै कितना बदनसीब था।।-
जो विद्वेषी
विध्वंसों से
सदा के लिए
विखण्डित नहीं होते।
वट वृक्ष की भाँति
शान्त चित्त होकर
पूर्ण धरा पर
अमर हो जाते हैं।-
जिस तरह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में
मैमरी का स्टोरेज विद्युत तरंगों के रूप में होता है।
वह मेमोरी वहाँ है भी और नहीं भी।
उसको पुनः देखने, सुनने के लिए
योग्य डिवाइस चाहिए होता है।
वैसे ही जीवन की स्मृतियों का संचय
भी हमारी आत्मा में होता है।
स्मृतियाँ अच्छी रखो,
पता नहीं किस जन्म में
कौन सी याद आ जाए।
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परस्परविरोधे तु वयं पंचश्चते शतम्।
परैस्तु विग्रहे प्राप्ते वयं पंचाधिकं शतम् ।।
- महाभारत
At home when we fight
we are five versus hundred;
outside our home
when we fight our enemy,
we are 105.
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इस प्रकृति का,
इस प्रकृति के जीवों का,
स्व मानस प्रकृति का
स्व काय प्रकृति का,
निःशक्तजनों का,
रक्षण, पालन, उपचार ही
मानव धर्म है।
जो इस धर्म का धारण करता है।
वही सच्चा धार्मिक है।-
सफलता !
यह न तो स्थिर है, न ही अंतिम है।
यह नित नए बनाए गए लक्ष्य की प्राप्ति मात्र है।
यह न तो धन है, न ही कोई पद है।
यह मन की वह अवस्था है जो कि,
जीत जाने का अनुभव कराती है।
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इस ब्रह्मांड में कोई भी चीज स्थिर नहीं है।
न सूर्य, न चंद्र, न पृथ्वी और न ही कोई गैलेक्सी
और सबसे अस्थिर होता है "मन"
पर ये अकेली ऐसी है
जिसे स्थिर किया जा सकता है।
इसलिए जिसने इसे स्थिर करना सीख लिया,
वही सफल है।-