इस वक़्त में तुम्हारी
कमी पहले सी है
मेरे आँखों में ये नमीं
आज भी कुछ वैसी है
फर्क सिर्फ इतना है कि
इन होठों पर ये मुस्कान
उन बीते वक़्त की ख़ुशी
की है हा अब मुलाकातें
तो नहीं होती हमारी पर
आज भी इन बूंदों में तुम्हारी
छवि कुछ वैसी ही है...-
1 AUG 2020 AT 8:24
12 MAY 2020 AT 9:47
ताउम्र साथ निभाने की वो कसमे दो पल में टूट जाती है
मोहब्बत से बने इन रिश्तों में आखिर कमी कहाँ रह जाती है
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13 MAY 2020 AT 10:21
ना चाहते हुए भी दुनिया सब कुछ कह जाती है।
मरने की जरूरत कहा होती है आजकल,
इंसानी फितरत ही मौत दे जाती है।
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11 MAY 2020 AT 20:46
जब कोई कमी नहीं रखी
माँ ने बच्चो को पालने में
फिर क्यूँ कसर रखी बच्चो ने
बूढ़ी माँ को संभालने में??-
11 MAY 2020 AT 22:57
सहूलियतों की कमी में भी खुश है कोई
और समृद्ध को बहानो से ही फुर्सत नहीं ।-
3 JUL 2020 AT 9:16
जो फ़िरता 'ख्यालों' में , दिन रात अक्सर
'कमी' को क्या बख्शु , 'नमी' आँखो को-
10 MAR 2018 AT 18:20
तेरी कमी खलती हर रोज़ है...
फ़िर कईयों को तूने रख रखा था तेरी कमियाँ दूर करने को याद हो आता है !!-
24 AUG 2021 AT 17:10
शाम को जब अकेला बैठा था
तब अचानक ही हवा के झोंके के साथ वो अधूरापन आया
और कहा के चलो आज तुम्हे किसी चीज या इंसान की कमी से नही पर तुम्हे खुद से ही मिलवाता हु !-