चंद पैसो वाले कफ़न के बदन को
वो बड़े महँगे लिबास से ढकते हैं 🍁-
दिल में रह कर जख्म दे जाते हैं
जीते -जी कफ़न दे जाते हैं
ऐसे लोगो से कोसो दूर रहे जो
आस्तीन के सांप बन कर मरहम
दे जाते हैं-
आज ज़िन्दा हूँ जी भर के नोच लो मुझे
मरने के बाद वो कफ़न सिर्फ़ मेरा होगा-
हां! मैं कम लिखता हूं ।
गम लिखता हूं ।
मेरे हम सनम लिखता हूं ।
हां! वो छोड़ कर चली गई और अब
मैं अपने वास्ते कफ़न लिखता हूं।-
🇮🇳
शत शत नमन हैं उस महान शख्सियत को,
खुद तिरंगा जिसका कफ़न बनना चाहें।-
क्या ज़िन्दगी का फलसफ़ा याद है तुमको
क्या अपनी की हुई हर दुआ याद है तुमको
उसने हमें मरने के लिए ही पैदा किया है
क्या उसका ये इक फैसला याद है तुमको
ये रोज़ - रोज़ का झगड़ा अच्छा नहीं लगता
क्या श़हीदों की मौत का सामना याद है तुमको
अपनों को अपनों से दूर क्यों करते हो अब तुम
क्या मोहब्बत में दिलों का मिलना याद है तुमको
सबके दिल में बस ही जाओगे ज़रूरी तो नहीं
क्या टूटे हुए दिलों का हौसला याद है तुमको
'धूल भरे रस्तों पर चलकर' मंज़िल पायी है सबने
क्या उनके दर्द और काँटों का चुभना याद है तुमको
किस चीज़ की तलाश़ में जी रहे हो "आरिफ़"
क्या किसी के दिल में बसे रहना याद है तुमको
दो गज़ ज़मीं और कफ़न की लड़ाई है सारी
क्या "कोरे काग़ज़" का बहना याद है तुमको-
पैगाम भेजा था खुदा को कि, घर भेजना जल्दी उन्हें,
याद आ रही है, हमें उनकी और उन्हें हमारी।
मगर खुदा भी, बड़ा जा़लिम निकला,
भेजा तो है घर जल्दी तुम्हें, मगर कफ़न में लिपटे है, शव तुम्हारे।।-
हे खुदा! कसम दे तू ,
गर गलत हूं तो कफन दे तू।
और प्यार हमारा सच्चा है अगर,
तो साथ उसके हर जन्म दे तू।।-
सर्द रात में किसी ने तुझे चादर में क्या लपेटा..!!
मेरी नम आँखों ने मुझे कफ़न में सुला लिया..!!-
मेरे ही दुपट्टे का कफ़न बना देना
मुझे रुसवा छोड़ जानें से पहले
मुझे मेरे ही दुपट्टे के कफ़न में दफना देना।
आए जब याद तुझे मेरी
तू मेरे लिए दो बूंद आंसु बहा देना
मुझे रुसवा छोड़ जानें से पहले
मुझे मेरे ही दुपट्टे के कफ़न में दफना देना।
मैं आसमान में सज जाऊंगी
तुम सितारों को देख
दर्द में भी मुस्का देना
मुझे रुसवा छोड़ जानें से पहले
मुझे मेरे ही दुपट्टे के कफ़न में दफना देना ।-