माना सर्वविजयी के आगे, अपनी कुछ औकात नहीं
सबको सबकुछ दे पाना, सबके बस की बात नहीं
हम हार गए तो हार गए, जो जीते वो भी दिखे कहाँ
हम हारे तो कुछ सबक लिए,वो जीतकर भी सीखे कहाँ
सर्वसमर्पण के रण में, अगर हारे भी तो हार नहीं
जिस हार में हो जीत छुपा, उस हार का कुछ सार नहीं
जो हारकर लौटा फिर रण में, वही असल विजेता है
जो रण जीता और चला गया, वो कल का बीता त्रेता है
जो चले गए फिर मिले नहीं, जो लौटे भी वो बदल गए
जो जाकर लौटे फिर मिले, वो भी थोड़ा संभल गए
इस हार की जीत के बाद, शेष कुछ बिसात नहीं
सबको सबकुछ दे पाना, सबके बस की बात नहीं-
कुछ लोग इस तरह जीने का सलीका सिखाते है,
औकात में रहूं इसीलिए औकात दिखाते है।-
Yuu toh ish....
Aukat ki bhi koi aukat nhi hoti!
Agrr krde zikrr koi ish aukaat ka,
Toh uski niyat se choti,koi baat nhi hoti!-
चीर दूंगा मेरे जख्मी पैरों से इन लंबे रास्तों को ,
वक्त मेरा बताएगा औकात इन हसीन चेहरों को।-
मुझे लगता था कि इस मोहब्बत के शहर में.... मैं बहुत अमीर हुँ पर अाज तेरे कारण मुझे मेरी औकात का पता चल गया।
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मेरी गलती की मुझे सजा दो
आराम से सहूंगा मैं |
मुझे गुमराह करने की कोशिश मत करना,
नहीं तो
तेरी औकात लिखने में, बिल्कुल नहीं डरूंगा मैं||-
_मौत_
औकात ना देख ए ज़ालीम.......
मै अंधेरे का साया हू......
जिंदगी के बाज़ार मे.....
अपनी मौत बेचने आया हू....-
कुछ लोग कहते हैं ,
मेरे सपने मेरी औकात से बड़े है ,
और वही लोग मेरे against खड़े है ।
" हिमांशु बंजारे "-
ख़्वाहिश तो मेरी भी होती है तुम्हें अपना बनाने की,
मग़र तुम्हारे दीवार की ईंट भी मेरी औकात से ऊपर है।-
तू मुझे मेरे पीछे गाली देता होगा,
ये कोई बड़ी बात नहीं ।
शेर के सामने कुत्ता जुबां खोल ले,
ये कुत्तों का औकात नहीं।।-