वो स्त्री हे वो कुछ भी कर सकती है
इसका मतलब ये नही के व्ही सब करेगी
आप भी उसके हर काम में हाथ बताया करे
हर राह में उसका साथ निभाए-
खुबसूरती की मिसाल होती है,
सब्र का मकाम होती है,
खुदको पानी की तरहा हर रूप मे ढालती है,
क्युकी जो माईके मे सर उठाके
चलनेवाली राजकुमारी होती है ,
वही !!! ससुराल मे सर जुकाके
रहेनेवाली दासी भी होती है।
वही!! अपनी पहेचान भुलके
खुदको बदलनेवाली पति की अर्धांगनी होती है ।
वही!! खुद भूखी रहेके
अपनी ओलाद को खीलानेवाली अन्नपूर्णा भी होती है-
क्यूं एक ओरत ही दूसरी ओरत की दुश्मन है इस कलयुग में,
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का गलत इस्तेमाल मय्यत है इस नवयुग में।
नारी होकर वो दूसरी नारी की इज्जत को इज्जत क्यों ना समझे,
क्या अंजाम बूराई का अच्छाई पर ऐसा ही लिखा है हर युग में।
क्यूं एक ओरत ही दूसरी ओरत की दुश्मन है इस कलयुग में,
जैसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का गलत इस्तेमाल मय्यत है इस नवयुग में।
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माँ,तेरे डिब्बे की वो दो रोटियां कही बिकती नही
अब तो इन मंहगे होटलो में भी भूख मिटती नही
माँ, तेरे आँचल में सोने से नींद जाती नही
लेकिन अब तो अक्सर इन महलो में नींद आती नहीं
लोग कैसे यूँही औरतो की इज्जत से खेल जाते हैं
शायद उन्हें औरत के अंदर बैठी माँ दिखाई देती नही
माँ, तेरे जैसा दिल क्यों नहीं होता किसी का
क्योंकि तेरे प्यार करने की फ़ितरत जिंदगी भर जाती नहीं
(मेरी प्यारी माँ)-
Aurat hu koi saman nhi,
Ladki hu par ehsan nahi,
Behan hu koi saza nahi,
Shakti hu par vajah nahi,
Rok hu par toke nahi,
Bachi hu koi bojh nahi,
Aakhir hu to mai bhi" नारी"
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क्या एक मर्द का , एक औरत की जिंदगी में होना जरूरी है !
अगर हां तो कैसे , अगर नही तो क्यों ।।।।
Comment below-
चार-चार जवान बेटो सें एक माँ नहीं रखी जातीं ...
जिस विधवा माँ ने सारे दुख सह कर भी ...
अकेले अपने चार - चार बच्चो को पाल दिय़ा ...
वो एक ओरत हैं ...-