Muskan Malek   (© मुश्क ✍🏻)
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Joined 7 December 2017


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8 MAR 2021 AT 14:54

ओरत.....

ईस नाम की कितनी परिभाषाएं बनने लगी ,

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30 SEP 2020 AT 12:05

सवाल उठे है सुरक्षा पर मगर,
कोर्ट की लंबी तारीखे पडना अभी बाक़ी है।
न्याय तब तक जरूर मील चुका होगा,
जब तक दुसरी बच्चीयो की मौत बाकी है।

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29 JUL 2020 AT 10:22

गरीबों के नाम पर सियासते बहोत सी चल गई,
मगर गरीबों की परेशानिया तो ओर भी बढ गई,
बच्ची कहेती है बाप से के 'कल पुरी रोटी खाईगे'
ये सुन के बाप की तो जिन्दा आत्मा मर गई ।

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31 MAY 2020 AT 16:48

राहबर ही राह भटका दे तो क्या ही हो सकता है,
सरपरस्त ही दगा दे तो क्या ही हो सकता है,
बातों से मसीहा बनना कोई बडी बात तो नही,
पर विश्वास से ही विश्वास उठ जायें तो....
कया कुछ भी सकता है ??

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9 APR 2020 AT 19:56

Shab-e-baraat is a night of forgiveness, forgiveness from Allah, friends and relatives. This is the time that the whole world is fighting with trouble, then this is what we pray for: "May Allah forgive all the faults, give relief from the troubles, give good health from the sicknesses, give new impetus to the economy and make everything well again." Amen..

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9 APR 2020 AT 19:24

हर मुसलमान मक्का जेसा पाक समजता है हिन्द की सरजमीं को,
तभी तो दिन के पांच वक्त सजदे कर कर चुमता है ईस सरजमीं को,

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23 MAR 2020 AT 21:59

यहा सडकों का शोर खामोशीयो मे जो गुम है,
ये सिर्फ बीमारी का खोफ नही जनाब ,
पुरी कायनात जो खतरे मे है।

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20 DEC 2019 AT 11:39

माहोल शर्द मे भी गर्म है,
कही संग कही तंग है,

अर्थव्यवस्था कसी हुवी है,
कश्मीर बर्फ मे भी जल रही है,

रोज कही लडकी की लाश मिलती है,
तो कही उसकी सजा भी नही मिलती है ,

पर अफसोस,
ईन सभी मसलो से परे ईस देश मे,
CAB ओर NRC की खबरे बिक रही है ।

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30 NOV 2019 AT 20:53

फीर एक लाश जली हुई मिली है,
उसके नाम की पोस्ट की लाईने लगी है,
सरकार अभी सोच रही है ,कोर्ट नई तारीख देख रही है,
पुलिस अपना काम कर रही है,
ओर मुजरिम की सोच बे:खौफ ये सोच ये रही है,
'भारत मे ब्लात्कार की सजा अभी,वही है! या नही है?'

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15 JUL 2019 AT 18:46

...चहेरा...
पल पल युही बीखरता सीमटा रहेता
गिरगिट की तरहा ये रंग बदलता रहेता ,

सुनता कुछ, कहेता कुछ ,करता कुछ
पल पल अपनी बात से पलटकर कहेता कुछ

ये ईन्सान का चहेरा क्या कुछ नही कहे जाता ,
फिर भी ये जताता उसे कुछ फरक नही पडता।

ये बनावटी दुनिया के मंच पे ये बनावटी किरदार बनता,
ये खुद बनावटी रंग मे रंग के खुदको महान समजता,

मगर ये अक्सर भुल जाता,
की खुदा उस चहेरे को कभी नही बक्षता ,
जो कीसी ओर चहेरे की उदासी की वजह बनता।

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