ओरत.....
ईस नाम की कितनी परिभाषाएं बनने लगी ,-
"तूने जो मांगा है मैंने तुझे दिया है
अब ये आजमाएश है तेरे वजु... read more
गरीबों के नाम पर सियासते बहोत सी चल गई,
मगर गरीबों की परेशानिया तो ओर भी बढ गई,
बच्ची कहेती है बाप से के 'कल पुरी रोटी खाईगे'
ये सुन के बाप की तो जिन्दा आत्मा मर गई ।-
Shab-e-baraat is a night of forgiveness, forgiveness from Allah, friends and relatives. This is the time that the whole world is fighting with trouble, then this is what we pray for: "May Allah forgive all the faults, give relief from the troubles, give good health from the sicknesses, give new impetus to the economy and make everything well again." Amen..
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...चहेरा...
पल पल युही बीखरता सीमटा रहेता
गिरगिट की तरहा ये रंग बदलता रहेता ,
सुनता कुछ, कहेता कुछ ,करता कुछ
पल पल अपनी बात से पलटकर कहेता कुछ
ये ईन्सान का चहेरा क्या कुछ नही कहे जाता ,
फिर भी ये जताता उसे कुछ फरक नही पडता।
ये बनावटी दुनिया के मंच पे ये बनावटी किरदार बनता,
ये खुद बनावटी रंग मे रंग के खुदको महान समजता,
मगर ये अक्सर भुल जाता,
की खुदा उस चहेरे को कभी नही बक्षता ,
जो कीसी ओर चहेरे की उदासी की वजह बनता।-
अगर ख्वाहिशे बिखरती है ,
तो कोशिशें भी उछलती है उसमे ।
मेरी कलम सिर्फ कलम नही ,
मैने खुद को बिखर कर संभाला है उसमे ।-
વિચારોના વમળ આજે તોફાને ચડ્યા છે,
સૌની સાથે રહીને પણ વિચારો એકલા પડ્યા છે,
આ અંતરના વંટોળને ન સાંભળે કોઈ, ન સંભાળે કોઈ,
એકલે એકલા તોફાનના તાંડવે, આંસુ વરસી પડ્યા છે.-
सवाल उठे है सुरक्षा पर मगर,
कोर्ट की लंबी तारीखे पडना अभी बाक़ी है।
न्याय तब तक जरूर मील चुका होगा,
जब तक दुसरी बच्चीयो की मौत बाकी है।-
राहबर ही राह भटका दे तो क्या ही हो सकता है,
सरपरस्त ही दगा दे तो क्या ही हो सकता है,
बातों से मसीहा बनना कोई बडी बात तो नही,
पर विश्वास से ही विश्वास उठ जायें तो....
कया कुछ भी सकता है ??-
हर मुसलमान मक्का जेसा पाक समजता है हिन्द की सरजमीं को,
तभी तो दिन के पांच वक्त सजदे कर कर चुमता है ईस सरजमीं को,-
यहा सडकों का शोर खामोशीयो मे जो गुम है,
ये सिर्फ बीमारी का खोफ नही जनाब ,
पुरी कायनात जो खतरे मे है।-