QUOTES ON #ओंकार

#ओंकार quotes

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20 SEP 2020 AT 15:14

ओंकार, बगल में चंदन, पीछे रूपा और नाउन सभी रुक गए। द्वार रोके चौखट पर खड़ी गुंजा की ओर ओंकार ने ताका तो बोली "यह कोहबर का द्वार है पहुना, इसे ऐसे नहीं लाँघने पाओगे! यहाँ दुआर पढ़ना पड़ता है।"

बात न समझ पाने के कारण ओंकार ने गुंजा की ओर फिर देखा तो बोली, "पढ़े लिखे हो तो कोई दोहा, सवैया या कवित्त सुना दो।"

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22 AUG 2022 AT 9:36

अखिल विश्व के मानव दल तुम
क्यों भेद-भाव में उलझे हो
क्यों रक्त-पात में सहमे हो
अखिल विश्व को राह दिखाते
भारत की तुम बात सुनो
वसुधैव कुटुंबकम संस्कार चुनो
शब्दों के भ्रम के जालों में
भारत का उपहार चुनो
ओंकार सुनो
ओंकार चुनो

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9 DEC 2020 AT 0:20

पद्म सी मुझको हो तुम लगती, पर मैं वह ओंकार नहीं।
छद्म न समझो प्रेम को मेरे, करो भले स्वीकार नहीं।

मैं वो पंक, अंक में जिसके, रहते हो तुम खिले खिले।
हे पंकज, बस यही कामना, पद पंकज का स्पर्श मिले।

खिल उठती हो, करती जब रवि किरणों का स्नान तुम।
स्नेह से मेरे, हो तुम सिंचित, रखना इसका ध्यान तुम।

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20 JUN 2020 AT 19:41

रह रह कर

"खुद को"

"खुद में"

निहारता हूं मैं

गुजारता हूं मैं

पुकारता हूं मैं


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22 MAY 2020 AT 21:10


"रोने" को तो
बहाने
"हज़ार" है!!!!

लेकिन
लोग कहते है कि

"मुस्कुराहट"😊
का दूसरा नाम ही
"ओंकार"
है!!!

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30 NOV 2020 AT 10:30

hello everyone...
Mere bio Mei Ek link hai..
Jaldi s Karo.. Open and answers do...
Please jyada se jyada..
Quiz attempt karna
..

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13 JUL 2020 AT 21:56

नंबर डिलीट कर देने से
और तस्वीरें जला देने से

"मोहब्बत"
क़भी
खतम
नहीं हो जाती!!


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2 NOV 2018 AT 18:37

अवलोकित आलोकित अमर करता
मन दर्पण उज्जवल उल्लेखित करता
वही ज्ञान प्रकाश परावर्तित होकर
अंतरतम तम अपसरित करता

रश्मि पुंज मन कंचन में जगमग
रंगबिरंगे विचरित विचार रंगोली बन
पुलकित हो मानसपटल सजाकर
आनंदित अपूर्व दीपालिका मनाता
अवलोकित आलोकित अमर करता
मन दर्पण उज्जवल उल्लेखित करता

दीपोत्सव जनमन को भ्रमित करता
ब्रह्मांड में ऊष्मा प्रज्वलित करता
शाश्वत निहित मन अंतर में ओंकार
सूर्य बन दिव्य स्पंदन झंकृत करता
अवलोकित आलोकित अमर करता
मन दर्पण उज्जवल उल्लेखित करता

परम अनंत सत्य यही एकमात्र है।।

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शुन्य का सृजक
ओंकार

सृष्टि का आधार है ये,
नाद अक्षर ब्रह्म है ये..
गुंजायमान चहुँ
दिशा में..
समय का प्रारंभ है ये। इससे ही
सब सृजन पाते..
इसमें ही सब होते लीन,
इसकी की कोख में, रोपित हुआ,
द्योलोक सजीव..... सहज शाश्वत
सत्व यह,


वैश्विक ओंकार है।

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11 AUG 2020 AT 2:44

ऐशो-आराम और महलो की चाह ना शंभू रखता हूँ

दुनिय माँगे धन और दौलत , मैं तेरी शरण माँगता हूँ

गुण -अवगुण मेरे सब प्रभु तुझको समर्पण ,

रहे शिव चरणो में ध्यान सदा इतनी कामना करता हूँ ।

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