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पानी हमेशा शांत बहता था उसे लहर कर दिया
देते हैं दुआ जिसे, उसने दवा को ज़हर कर दिया।
सूरज की किरणें गिरती थी सीधे घर के आंगन में
ऊंची इमारतों ने मेरे छोटे गाँव को शहर कर दिया।
अकेला था भला था, मोहब्बत हुई है जबसे उनसे
नींद गायब है आँखों से, बेचैन हर पहर कर दिया।
शांत था मोहल्ला मेरा, सब रंग सबके घरों में थे
अब भगवा हरा अलग करके सब कहर कर दिया।
बांधे रखती थी एक नदी सभी शहरों को अब तक
बांट कर उसे अब, कस्बों की अलग नहर कर दिया।
ये चाँद साथ रहता था पहले रात भर ही के लिए
अब साथ उठता है मेरे, रात मेरी हर सहर कर दिया।-
सुबह उठते ही मेरी पहली याद हो तुम
इस चेहरे पर खिलती हंसी का राज हो तुम-
आदत हमें अंधेरे से
डरने की डालकर
वो शख्स हमारे जिंदगी को
रात कर गया...
उस अंधेरी जिंदगी के
काले साये में रहकर
एक शख्स हमारी जिंदगी का
जुगनू बन गया...-
बड़ी शिद्दत से चाहते थे तुम्हें
एक तुम ना समझ
मेरे एहसास को समझ ना पाए
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भरोसा है अगर अपनी मोहब्बत पर सच्चा,
यकीन मानिए एक दिन होगा सब अच्छा,
जरूरी नहीं मोहब्बत साथ ही हो हमेशा,
दूरी के बाद भी अक्सर एहसास होता है सच्चा।-
'असर' जो छोड़ जाते है
खबर भी क्या वो रखते है
गुज़र कैसे रहा 'लम्हा'
कोई सदियों के 'एक' जैसा
कोई वादा 'जरूरत' का
कही कुछ 'रह' गया जैसे
नही मालूम था क्या 'वो'
खबर होती तो 'लग' जाती
गुज़ारिश का वो लम्हा भी
जुर्म संगीन लगता क्यूँ
नज़र अपनी वही है जो
बदलता क्यूँ जमाना फिर
कही जो 'दर्ज' है कोई
जुड़ा 'एहसास' का कोना
तेरा होना भी न होना
मेरा होना भी न होना-