_उम्मिद_
तेरी रहमत से ही
जिंदा हूँ -ए -मालिक......
के मै "उम्मिद" का परिंदा हूँ
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_इश्क़_
मोहब्बत तो हम
किसी से भी करलेते
पर उम्मिद सिर्फ तुझसे थी
जूनून भरे इश्क़ की...
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भटक रहा हूँ यादों में,
अपने ही खयालातों में ।
जैसे पँछी फंसे जालों मे,
वैसे उलझा हूँ जज्बातो में ।।
कोशिशें हो रही हैं नाकाम,
मिल नहीं रहे वो मुकाम ।
जिसे पाने को दिन रात,
मैंने किये प्रयास तमाम ।।
गुमसुम सा रहता हूँ अब,
पल में खो जाता हूँ, ना जाने कब ।
कुछ ऐसा हैं, जो अभी पा ना सका हूँ,
खुशियाँ लौट आएंगी, पा जाऊँ जब ।।
फिर भी कोशिश करता रहूँगा
सपनें पूरे होने तक लड़ता रहूँगा ।
जब तक साँसो में आस हैं,
समझूँगा, मंजिल भी अपने पास हैं ।।-
मुजे बहेने ना दिया ...
लोगो की उम्मिद बंधा तालाब है ...
मे सागर की प्यासी ..
ठीक है तुम ये मानलो ...
मुजे सिर्फ मुजसे प्यार है
वंदना परमार-
गर्दिश के दिन हमारे भी बदलेंगे,
हम भी किसी के चेहरे का नूर होंगे,
हम भी किसी के सपनों में जरूर होंगे,
मानते हैं आज समय का साथ नहीं,
पर शर्त है कि हम भी किसी के दिल का गुरूर होंगे
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मत कर उम्मीद किसी से
लड़ना तुझे ही हर परिस्थिति से है
सब हर वक्त साथ नहीं रहेंगे
जीवन से संघर्ष करना तुझी को है-
अपनों से उम्मीद रखना आम बात होता है..
पर आज की इस झूटी दुनिया में कभी भी किसी से भी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए..
क्योंकि जब उम्मीद टूटती है ना, तब ये उम्मीद भरी मन और दिल दोनों टूट जाते हैं..
फिर हम बापस वही इंसान नहीं बन पाते जो पहले हुआ करते थे..
और फिर पसतावा के सिवा कुछ नहीं बचता..-