ये जो मर रहा है मुझमें, वो मैं ही हूं,
यदा कदा सर्वदा जो भिड़ रहा है मुझसे, वो मैं ही हूं।।-
India to me as water to fish...
Delhi girl with a little touch of ... read more
हर रोज़ एक ख़्वाब जरूरी है
ख्वाब में तेरी पहचान ज़रूरी है
वो ख़्वाब जो सबसे उपर उठकर
तुझे ज़िंदा रखे है
जमीं से अर्श तक सब तेरा है
बस मानने के लिए एक रात जरूरी है
हर रोज एक ख्वाब जरूरी है
उस ख़्वाब में तेरा दीदार जरूरी है
ये वही ख़्वाब है जो तुझमें मुझे ज़िंदा रखे है
फर्श हो या अर्श मै तेरा हूं
बस मानने के लिए रात ज़रूरी है
हर रोज़ एक ख़्वाब जरूरी है
स्वप्न में ही सही तू ओरों का नहीं बस मेरा है
अब यही तो बस विश्वास जरूरी है
मुझे कभी प्रतीत नहीं होती
ये जो बेवजह मीलों की दूरी है
बस मानने के लिए एहसास जरूरी है
हर रोज़ एक ख़्वाब ज़रूरी है
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पूछना था 🤔सब स्वदेशी स्वदेशी चिल्ला रहें हैं
माता पिता पर भी ये लागू है क्या🤔
मुझे राहुल गांधी की चिंता हो गई एकदम से😛😛😛😛
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नित जीवन के संघर्षों में बस याद आपकी आती है
यूं तो मैं बढ़ती जाती हूं, पर घर आने पर जब कोई
हर्ष नहीं दर्शाता है, तब याद आपकी आती है,,
जाने क्या क्या खूबी थी,तिल तिल अब सामने आती है
पापा आपकी रिक्ति मुझको अब बड़ा सताती है
घर से जाना , जाकर आना यूं तो है कुछ भी खास नहीं
पर अब साथ न जाने पर अश्रूधारा बह आती है
एकाकी पथ पर चलती हूं तब याद आपकी आती है
मुझे विदा करने के बदले,आप विदा खुद हो चले
अनंत पीड़ा की ये चर्चा मुझको हिला कर जाती है
नित जीवन के संघर्षों में बस याद आपकी आती है
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वो पिता जो आसमां था अपने घर का
आज स्वयं मिलके खुदा से आसमानी बन गए हैं
बेटी को उंगली पकड़कर चलना उसको क्यों सिखाया?
फिर क्यों उसको रास्ते में लड़खड़ाता छोड़ आए?
वो जो सीधी सी डगर थी, टेढ़ी मेढ़ी कर गए हैं
खुद स्वयं मिलके खुदा से आसमानी बन गए हैं
मां वो जिसके हाथों से तुम रंग हजारों छीन लाए
जीने मरने की वो कसमें आप झूठी कर गए हैं
उनकी खुशियों का वो दामन, क्यों दुखो से भर गए हैं
वो जो पूरी गृहस्थी थी अब क्यों अधूरी कर गए है?
खुद स्वयं मिलके खुदा से आसमानी बन गए हैं
पुत्र जो की लाडला था कैसे उसको छोड़ पाए
उसके नाज़ुक से करों पर ज़िम्मेदारी धर गए हैं
चंचली आंखों में उसके अश्रु धारा भर गए हैं
वो जो आंखों की चमक थी धुंधला सा कर गए हैं
खुद स्वयं मिलके खुदा से आसमानी बन गए हैं-
"वो जिसने मुझे सबकुछ सिखाया, पर अपने बिना जीना नहीं सिखाया..मेरे पिता"
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गोदी उनकी मुझे पुकारे
नैना पल पल राह निहारे
मुझसे किनारा करके अब तुम
छोड़ गए हो किसके सहारे?
मैं किसकी लाडली कहलाऊं
किसके सपनों पर जी जाऊं
पापा तुम बिन मेरे नैना
बरस रहें है अब दिन रैना..
कोई नहीं है तुम बिन पापा
किसपर अपना हक दिखाऊं?
किसकी छाया में रहकर मैं
खुदको को अब महफूज़ कहाऊं?
तुम बिन कौन कहेगा पापा
मुझको अपना 'शेर बेटा'
गुस्सा भी मैं होना चाहूं
तो कैसे हो जाऊं पापा?
नहीं आओगे कभी मनाने
खुदको कैसे समझाऊं पापा?
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जलती हुई रूई ने दिए से कहा: मेरी मौत के जिम्मेदार केवल ये तेल और अग्नि नहीं हैं
तुम जो मूक दर्शक बनें इन्हे सहारा देते हो और खुद सहनशीलता के प्रतीक बनते हो,तुम भी बराबर के दोषी हो मेरी शहादत में!
#forpeoplesupportingchineseproducts
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कोई नहीं है किसी का बंदे,किस वहम ने तुझको घेरा है?
लाखों की इस भीड़ में यारा! हर इंसान अकेला है..-
समय की कठोरता ही मिट्टी के मुलायम छोटे कणों को चट्टान सा सख्त और विशाल बनने पर मजबूर करती है
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