बचपन मे सकुन की छत देती है
मिट्टी के खिलौनों सी मत देती है.
ज़िन्दगी इम्तिहान लेती है. अफसाना किसे भी
मालूम नहीं की अब डिग्री कौन सी चल रही है.-
"इश्क़, इबादत और इम्तिहान से ज्यादा
तुम मेरे हो मेरे नाम से ज्यादा..."
किशमिश...-
हम ज़िन्दगी के हर इम्तिहां के लिए
सारी तैयारी धरी रह गई ज़िन्दगी ने सवाल कुछ ऐसे किये-
अभी तो दिसंबर की शाम बाकी है ..
सर्द मौसम में ,गरीबी का इम्तिहान बाकी है..
अनजान शहर में खुली छत का इंतजाम बाकी है ..
अभी तो उस मुफलिस की पूरी दास्तान बाकी है..
काली रातों में मरते ख्वाहिशों का जाम बाकी है..
ठिठूरते ही सही ,मगर उजालों का अरमान बाकी है..
अभी तो बेबसी और लाचारी का कत्लेआम बाकी है.. . देखते रहिए साहब अभी तो सियासत का इल्जाम बाकी है
बुझती रोशनी में जलती अलाव का काम बाकी है ..
यह तो बस शुरुआत है ,अभी तो पूरा इम्तिहान बाकी है..
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तेरी ख़ामोशी में इक अजीब सा शोर हैं
तेरी निगाहों में शब्दों से ज़्यादा ज़ोर हैं
चंद दिनों पहले ही बाँधी हमने इश्के-दी-डोर हैं
ना लो यूं इम्तिहान फ़िलहाल वो थोड़ी कमज़ोर हैं-
कभी खयाल में खयाल नहीं, तेरे जुमले आते हैं।
तो कभी ख्याल में खूब यादगार लम्हें आते हैं।
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ज़िन्दगी की हर कदम इम्तिहान है ...
जो न चल पाया वह परेशान है ...
खुद में हिम्मत रखो
न कभी ड़रो ...
मुस्किलो को हराकर
ज़िन्दगी में आगे बढ़ो ...-
अभी तो जिंदगी का "Saransh" पढ़ना बाकी है
अभी तो मंजिल का Imtihaan बाकी है ...
अभी तो चली है Thodi Si जमीन,
अभी तो सारी दुनिया से Pechaan बाकी है...-