बहुत गुरूर है हमें उनकी इस बात पर,
वो मोहब्बत से ज्यादा इज्ज़त करते है हमारी।-
तेरे आस पास गिद्ध देख रहा हूं नोच खायेंगे।
मेरे जैसे नहीं मिलेंगे जो तेरी इज्ज़त बचाएंगे।-
मैं कैसे मान लूँ?
जब तू बेटी की इज्ज़त नहीं कर सका
तो माँ की क्या खा़क करता होगा!!-
इज्ज़त सिर्फ तुम्हारी ही नहीं है।
कुछ मर्यादा तो हम भी रखते हैं।
तुम तब तक चीख सकते हो।
हम जब तक खामोश रहते हैं।-
इज़्जत करने से मिलती है मोहब्बत,
पर मोहब्बत करने से इज़्जत नही मिलती।-
तुझे भूलकर सोच लेंगे हार गए एक बाजी ताश की,
अब मां बापू की इज्ज़त से बढ़कर थोड़े ही है यह आशिकी।-
अपनी खुशी खातिर किसी की इज्जत लूट ली।
जानवर से भी खराब देखना है तो इंसान देखलो।-
यूं सरेआम डाँट
दिया उसने,
और वो भी सिर
झुकाए सुने जा
रही थी,
वो खुद को एक
सभ्य समाज का
शिक्षित नौजवान
बता रहा था..!!-
इज्ज़त ना मिलने पर तू दुःखी ना हो ऐ इंसान,
ज़रूर हासिल होगी तुझे ये इज्ज़त मौत के बाद।
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आजकल झूठ कहने से इज्ज़त मिलती है
सच बता दो तो लोग बेइज्ज़त कर देते हैं-