QUOTES ON #आबाद

#आबाद quotes

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24 MAY 2021 AT 9:12

ख़्वाहिश थी मेरी...एक अदद मुलाकात को,
पलटकर जो देखा उसने, तो आदाब हो गया!

मै खड़ा खड़ा ही रहा..ये उससे पूछता पूछता,
उसने झुकाई नजरें जब, तो जवाब हो गया!

फलसफा पढता रहा...फ़क़त सफा दर सफा,
उसने वो जो लिख दिया, तो किताब हो गया

मैने उम्र गुज़ारी, उनके बेहिसाब इंतजार में,
वो मुस्कुरा दिए बस यूँ, तो हिसाब हो गया!

एक मुद्दत से तरसा....मैं अपनी पहचान को,
उसने मेरा नाम लिया, तो खिताब हो गया!

दिल से मैंने ये चाहा की..भुला भी दूँ मैं उसे,
ये सोचते ही मेरा दिल मेरे ख़िलाफ़ हो गया!

भटकता रहा ताउम्र..उसके दिल के इर्दगिर्द,
बाद उसके इकरार के "राज" आबाद हो गया!

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16 JUL 2020 AT 8:11

दहकते अंगारो से प्रीत निभाया करता हूँ,
ख़्वाब जलाकर मैं रोज़ उजाला करता हूँ!

एक झलक की ख़्वाहिश लेकर मुद्दत से,
मैं बादल में रोज चाँद निहारा करता हूँ!

एक लहर आती है बह जाता है सबकुछ,
रेत पर जब जब महल बनाया करता हूँ!

असआर मेरे आबाद हुए, एहसान है तेरा,
मैं ग़ज़लों में तेरा अक्स उतारा करता  हूँ!

मेरी बेदाग उल्फ़त पर हँसते हैं लोग यहां,
क्योंकि आसमाँ सी हसरत पाला करता हूँ!

अक्सर सरे आम नंगे हो जाते हैं पाँव मेरे,
जब जब चादर से पांव निकाला करता हूँ!

मत पूछ "राज" से यूँ मोहब्बत की बातें
याद में तेरी मैं ऐसे वक्त गुजारा करता हूँ! _राज सोनी

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17 NOV 2018 AT 1:20

कहने को हूँ मैं शायर आला दर्जे का पर
ख़ुद की लिखी एक नज़्म तक नहीं याद है

एक वो है मुझे पढ़ने वाली 'क़ारी' जिसे
मेरी हर नज़्म का हर हर्फ़ बा-ज़बान याद है

मैं इश्क़ लिखता हूँ सफ़ेद सफ़हे पर बस
उसकी रूह के तो हर ज़र्रे में इश्क़ आबाद है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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13 AUG 2020 AT 23:32

उन्हें मिल ही जाता है जो फ़रियाद करते हैं
इन्सान आज कहाँ किसी को याद करते हैं

मिटती ही नहीं यहाँ इनकी शिद्दत-ए-तिश्नगी
हर दिन एक नया मयख़ाना आबाद करते हैं

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दुआ करो जालिमों आबाद ना हो जाऊं ,
इश्क के खंजर निकाले से नहीं निकलते।

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22 FEB 2018 AT 10:38

खुदसे तुझे इस तरह आज़ाद कर लूं
तुझमे फ़ना होके, ख़ुदको आबाद कर लूं

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26 MAY 2019 AT 21:31

मैं तेरी इबादत कर रहा हूं,
जरा तू भी मुझे आबाद कर।

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4 JUN 2021 AT 12:28

आबाद कर रहा हूँ , आबाद हो रहा हूँ
ख़ुद के ग़मों से ख़ुद ही आज़ाद हो रहा हूँ

चलकर गई हैं ख़ुशियाँ हर रोज़ ही कहीं पर
मैं शाद होते-होते नाशाद हो रहा हूँ

दिल में नहीं है कुछ भी बिल्कुल हुआ है ख़ाली
भर-भर के इसको ग़म से बर्बाद हो रहा हूँ

लोगों ने मुझको माँगा जब भी हुई ज़रूरत
आख़िर किसी की मैं भी फ़रियाद हो रहा हूँ

जब भी दिया है धोखा ग़ैरों के जैसे मुझको
बिखरा हूँ टुकड़े-टुकड़े फौलाद हो रहा हूँ

पढ़ता था सबको पहले पढ़ कर हुआ था 'आरिफ़'
नादान था मगर अब जल्लाद हो रहा हूँ

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9 MAR 2022 AT 17:11

हर हाल ज़िन्दगी भी नाशाद कर चली है
कुछ ख़ास से पलों को बर्बाद कर चली है

ख़ामोश हो गया दिल गुलज़ार था जो पहले
हर साँस कुछ मोहब्बत आज़ाद कर चली है

ख़ुशहाल रह न पाया इज़हार जब किया तो
फिर इश्क़ ये किसी पर इमदाद कर चली है

बाज़ार लग रहे हैं उस ओर अब वफ़ा के
जिस ओर ये अना को आबाद कर चली है

'आरिफ़' कभी न बदला दिल तोड़कर गई वो
कुछ दूर तक रुलाकर फिर शाद कर चली है

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1 JUN 2019 AT 7:18

तेरे लबों पे हमेशा मुस्कुराहट रहे
चाहे मेरे दिल मे कितने गम हो,
आबाद हो तेरी खुशियो का शहर
चाहे मेरी पलकें भी नम हो ।

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