QUOTES ON #आत्मसम्मान

#आत्मसम्मान quotes

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18 JUL 2020 AT 13:27

किसी मुलज़िमा पर अदालत न होगी,
किसी पाक दामन पे तोहमत न होगी,

अगर माँएँ बेटों को भी कुछ सिखा दें,
तो फिर बेटियों की ये हालत न होगी।

लाज़िम किया जाए मर्दों को पर्दा,
तो औरत की इतनी मुसीबत न होगी।

ये राधा, ये सीता, ये देवी बनाकर,
ये न सोचिए कि बग़ावत न होगी।

मगर औरतों! तुम भी कुछ कम नहीं हो,
न सोचो कि तुमसे शिकायत न होगी।

नहीं कर रही हो जो तुम ख़ुद की इज़्ज़त,
समझ लो तुम्हारी भी इज़्ज़त न होगी।

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5 AUG 2021 AT 18:02

बीच चौराहे बेज्जत हुआ

क्या मेरा आत्मसम्मान नहीं था !

वो मारती रही में सहता गया

क्या गलती थी दीदी मेरी में ये कहता गया !

वो क्रोध की आग में झुलस रही थी

नारी शक्ति का सहारा लेकर मचल रही थी !

पलट के उत्तर देता में भी पर

दोनो के लिए कानून समान नहीं था !

अगर कानून दोनो के लिए एक जैसा होता

तो फिर बताता आत्मसम्मान खोना कैसा होता !!!

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अगर शांति चाहिए तो जरूर झुक जाना चाहिए ...
पर जब बात आत्मसम्मान की आये तो
पलट कर जवाब भी देना चाहिए !!

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16 SEP 2020 AT 15:53

पायलों की छन-छन
चूड़ियों की खन-खन
सब कुछ तो
पसंद है तुम्हें...
चुभतें हैं तो बस
'आत्मसम्मान'
के लिए उठे
उसके शब्द...

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26 JUN 2021 AT 23:07

खुद को हर बार भुला दूं,
ऐसी मुहब्बत हम आजकल करते नहीं..

इश्क़ बेहिसाब है उससे लेकिन,
इबादत हम किसी की करते नहीं..

उसकी हर चाहत का ख़याल है,
लेकिन खुद की तासीर हम
किसी के लिए बदलते नहीं..

यूं तो मिलने की ख़्वाहिश है दबी कहीं,
मगर हम पलके बिछाकर इंतज़ार
किसी का करते नहीं..

मुहब्बत अगर दिल से हो तो
लुटा दूं अपनी जान उसपे,
सोच समझकर की हुई दिल्लगी को
हम मुहब्बत कहते नहीं..
©Aditi Tripathi'आज़ाद'🇮🇳

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22 SEP 2018 AT 15:29

यदि आत्म -सम्मान को जाना होता,
तो अहम से जुगलबंदी नही बैठती ।।

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29 JUN 2020 AT 20:24

जहां एहसान होता है
वहां आत्मसम्मान नहीं होता ।।

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1 JUL 2018 AT 7:33

प्यार- वो शब्द जो लफ़्ज़ों का मोहताज नहीं, बयां न हो सके वो है प्यार
खता न हो सके जिसे चंद लम्हों में समेटने की वो है प्यार,
प्यार तो वो एहसास है जिस पर किसी का कोई बस नहीं,
जिसे बयां नहीं सिर्फ महसूस किया जा सके,
किसी के लिए पहली नजर में दिल में बजने वाली घंटी मोहब्बत है
तो किसी के लिए चंद मुलाकातों वाली उल्फत
किसी के लिए उसका हाथ किसी और के हाथ में देख कर
होने वाली जलन मोहब्बत है तो
किसी के लिए मासूमियत में हुई चाहत,
मायने कुछ भी हो इश्क के, बस ख्याल रहे,
इश्क की डोर पतंग की डोर भांति
बेहद मजबूत होनी चाहिए
जो मोहब्ब्त को ऊंची उड़ान दे सकें
बशर्ते, डोर न कच्ची हो न ज्यादा तनी हुई
कच्ची डोर महज उलझनें लाती हैं, और
ज्यादा जोर प्यार की डोर को गले के फंदे में तब्दील कर देती है
"मोहब्बत वो जो कभी आत्मसम्मान से समझौता न कराएं।।"
SONAL✍️

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9 AUG 2020 AT 14:17

नहीं जरूरत किसी के एहसान की,
की हमारी ज़िन्दगी में उजाले आए।
हम खुश हैं हमारे अंधेरे में,
फिर चाहे हमसे कुछ देखा ना जाए।

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9 JUL 2020 AT 3:02

बात जब अस्तित्व पर आती है।
तो स्त्री अक़्सर विद्रोहिणी बन जाती है।
बात जब साथ निभाने पर आती है।
तो स्त्री अक़्सर सहचारिणी बन जाती है।

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