जीवन में कुछ लोगों का साथ छोड़ना पड़ता है
घमंड के लिए नहीं बल्कि अपने आत्मसम्मान के लिए-
आत्मसन्मान माझा
जपायचा तुलाचं आहे
हा देह तुझ्यावर निर्भर
अंतरंगी तुलाचं पाहे
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मैंने कब कहा था?
मेरे लिए स्वयं को बदलो,
मैंने तो सिर्फ इतना कहा था बस
स्वीकार करो उस बदलाव को
जिससे ठेस न पहुँचे
तुम्हारे और मेरे आत्मसम्मान को ।-
इतनी भी लाचार नही हु मैं
तेरे प्यार के लिए।
प्यार किया है तुमसे,
आत्मसम्मान गिरवी नही रखा।
इसीलिए भूल कर भी सोचना मत
आके गिड़गिड़ाऊंगी, प्यार करने के लिए मनाऊंगी
में वैसी कभी थी ही नहीं, तो ऐसे कैसे बदल जाऊंगी.?-
खिड़की पर बैठा वो रोये जा रहा था,,
मन की लाश कांधे पे ढोए जा रहा था,,
मैने पूछा हु ब हु तुम मुझ जैसे क्यों दिखते हो
किसी ने कुछ कहा तुमसे जो यूं आँखे भरते हो,,
भीगी आँखों से मेरी और देख कर बोला,,वो
बेकार समझ कबाड़ सा फैंका हुया सामान हूँ,,
कोने में पड़ा रहता मैं तुम्हारा आत्मसम्मान हूँ,,
कोई दुश्मन नही बनाये,,तो क्या अच्छा काम किया है?
लग रहा होगा तुमने कोई रोशन नाम किया है,,
बोलने वाली जगह चुप रहना ,,किसने तुम्हे सिखाया?
बात बात पर मेरे मालिक ,तूने मेरा खून बहाया,,
आत्मसम्मान नही होगा ,तो सम्मान तुम्हारा क्या होगा?
निर्णय तुम्हारा गौण है,अभिमान तुम्हारा क्या होगा,,
स्पष्टवादी बनो,,तुम पर यही जँचता है,,
अक्सर जंगल मे टेढ़ा पेड़ ही बचता है,,-
आत्मसन्मानाला ठेच लागता
डोळ्यातून ठिणग्याच पेटतात
प्रेमाची जागा घेतो क्रोधाग्नी
सारे भाव क्षणातच आटतात
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यह वह शब्द हैं जो हर व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता हैं
कई कठिनाइयों से लड़कर इंसान को हासिल होता हैं
और संसार में यह एक मात्र हैं जो एक बार चला गया उसे वापिस पाना उत्नाही मुश्किल होता हैं-
# # सेदोका # # ( 5-7-7-5-7-7)
आत्मसम्मान
कुछ मांगता नहीं
है हासिल करता
वो सब कुछ
पल भर में फ़ना
ज़रूरत के आगे।-