तेरे गेसू में गजरा दमकता रहे,
तुम महकती रहो मैं बहकता रहूँ।-
2122 2122 2122 212
आप जो भी कीजिये अपनी ज़रूरत के लिए,
इश्क़ ने बदला हमारा ज़ाविया इस तौर अब,
ख़्वाहिशें बाकी नहीं हैं अब शिकायत के लिए।
सब लुटा है पर लबों पर है तबस्सुम आज भी,
हौसला अफ़ज़ाइयाँ हों इस जसारत के लिए।
शेख़ जी ने ये कहा था आख़िरत में है सुकूँ
इक नज़र काफ़ी है उनकी तो क़यामत के लिए।
भर गया ज़ख़्मों से अब बेदार मेरा ये बदन,
शुक्रिया कहता हूँ तुम से इस इनायत के लिए।-
यूँ ही बिखरे जो काग़ज़ पर
तो बे-मक़सद भटकती है,
क़लम का साथ मिल जाए
तो स्याही भी चहकती है।-
तुमने वादा किया था मिलन का जहाँ,
उम्र बीती वहीं राह तकते हुए
याद आती रही ख़्वाब देखा किए,
और अरमाँ हज़ारों मचलने लगे।-
तारीफ हज़्म हो न सकी मुझ को बज़्म की,
तोहमत हुई अज़ीज़ दिल-ए-ज़ार के सबब।-
कैसे मानूँ कि गुल अब भी है ख़ूब-रू,
तितलियों को भी ग़फ़लत हुई देखिए।-
बड़ी कश-म-कश में मेरी ज़िन्दगी है,
मगर इस का हासिल तुम्हारी खुशी है।-
फिर तो मैं सब कुछ छोड़ कर बस रू-ब-रू बैठा रहा,
सारा ख़सारा इक तरफ़ दिलकश नज़ारा इक तरफ़।-