Pradeep Sahai Bedar   (© प्रदीप सहाय बेदार)
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Joined 12 June 2021


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25 MINUTES AGO

तवील रात है पर नींद भी न अब आए,
दिया उमीद का खुद आ के ही बुझा जाओ।

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तुम्हारा आना हुआ न जबतक,
जुनून तब तक जवाँ नहीं था।

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हमारी
अच्छा हुआ अधुरी
ही है
हो जाती गर पूरी
तो फिर
सब कहते ये क्यों
पूरी है।

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17 HOURS AGO

1222 1222 1222 1222

यक़ीनन इश्क़ में अपनी वफ़ा तो है नमक जैसी,
ज़रा भी कम ज़ियादा हो मज़ा कुछ भी नहीं रहता।

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21 HOURS AGO

अजब अंदाज़ है उस का
समझ में कुछ नहीं आता,
कभी तेवर बदलता है
कभी लहज़ा बदलता है।

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21 HOURS AGO

ये दुनिया खूबसूरत है, हैं कुछ दिल-कश नज़ारे भी,
मगर ये ज़िन्दगी संग उस के हो तब ही महकती है।

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YESTERDAY AT 13:02

निकालो मतलब तुम्हें है हक़ पर,
न कुछ था ज़ाहिर झुकी नज़र से,

झुका है ये सर बस एहतिरामन,
अगरचे दिल में तो हाँ नहीं था।

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YESTERDAY AT 12:54


जिन को
ना कह पाए ना छुपा सके,
हम उल्फ़त के उन
लम्हों को
ना सह पाए ना जता सके।

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17 JUL AT 21:25

उस के ख़याल में ही यहाँ मुब्तिला रहा,
किस्मत में जो नहीं था वही माँगता रहा।

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17 JUL AT 21:17

शमा के इश्क़ में जलते हैं कैसे परवाने,
फ़क़त निगाह उठी मर मिटे थे दीवाने।

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