यही इक बात दुनिया से उसे बेहतर बनाती है,
हमें उपर उठाना हो तो खुद घुटनों पे आती है।-
दानिशमंदों बता सको तो बतलाना
सुना है कोई लफ्ज़ जो माँ से छोटा हो,
ग़र बतला ना पाना तो फिर यूँ करना,
बतलाना वो लफ्ज़ बड़ा जो माँ से हो।-
मेरे दिल के करीब आ गई अब वो फिर,
है यही तो डगर जानिब-ए-जाँन-ए-जाँ।-
बज़्म में हम इश्क़ से इनकार करके आ गए,
बे-सबब हम खुद को यूँ बीमार करके आ गए।-
बड़ी कीमती चीज़ है ये मवद्दत,
जवानी लुटा दी बड़ा तीर मारा।
मवद्दत में बेदार हर सू अमन हो,
अगर जंग है तो यक़ीनन मैं हारा।-
अयाँ हो ग़ज़ल में मवद्दत का पैकर,
हर इक लफ़्ज़ को ऐसा ए'जाज़ देना।-
खाली कप में तुम क्या जानो अब भी कितना बाकी है,
मुझ को दे दे बस वो प्याली तू ही मेरा साक़ी है।
बस इक लम्हा बिता के मैने पूरा जीवन जी डाला,
उस लम्हे का नाम नहीं कुछ जो दौलत दुनिया की है।-
तुम्हारी बज़्म में वो तुम, तुम्हारी चाय की प्याली,
मेरे होठों पे ज़िंदा है, नशे में चूर हूँ अब तक।-