हमें कहाँ अब नींद का ख़ुमार ज्यादा है
पर सोते ऐसे जैसे कुछ हुआ ही नहीं
माना आँखों को भ्रम में रखना ज़रूरी है
पर ख़्वाब भी ना देखूं ये गवारा नहीं-
कहते हैं करार उन्हें है,
पर बेकरार से दिखते हैं।
देख कर मेरी आंखे भीगी ,
कुछ बेज़ार से लगते हैं।
है कोई नहीं मेरा उनके सिवा
जाने क्यों स्वीकार नहीं करते।
अंदाज उन्हें है प्यार का मेरे,
फिर क्यूं इम्तहान सा लेते हैं
हर एक खुशी देकर जैसे
कोई अहसान सा कर देते हैं
प्यार उन्हें भी हमसे है
जाने क्यों स्वीकार नहीं करते।-
खो सा गया है,
सुकूँ साथियो,
दुनियादारी में कहीं..
आँखो में दर्द दिखे,
तो हाथ पकड़ के,
हाल पूछ लेना..-
कौन कहता है कि
वो सिर्फ सूरत दिखाता है , सीरत नही ।
आईने के सामने खुद की आँखों मे
आँखे डालकर पूछो
तुम्हारे ज़मीर का खुद पता चल जायेगा ।।-
उसकी आँखो की मायाजाल में एक बार फिर ऊलजना चाहती हूँ ,
बस इन दो पलों में अपने हिस्से की पूरी जिंदगी जीना चाहती हूँ ।
वफ़ा मिले चाहे इस प्यार में चाहे मिले दर्द ओ ग़म हजार मिले मुझे ,
उस दो पल की एक मुलाकात में अपना वजूद में खोना चाहती हूँ ।-
किस से कहूं इस जिंदगी के अनसुने किस्से ,
आज भी खड़ी है राहों में ये इंतेज़ार आँखो में लिए ।-
मेरी शाम .. मतलब
तेरे हाथों में अपने हाथों को पिरोकर ...
तेरे शब्दों से हुए स्पर्श को बंध आँखो में सजाना ...।-
आँखो के कोने पे
खड़े रहने की प्रतियोगिता हो रही हे
एक आंसू
दूसरे को धक्का देने की कवायत हो रही हे-
संग तेरे बिताए वो छोटे छोटे लम्हें भी सुकून दे जाते है मुझे ,
मुझे पसंद है वो लम्हा जब आँखो में तेरी खो जाती हूं मैं ।-