कोई कहानी कितनी असली है या कितनी नकली है
ये बात केवल उस कहानी के पात्र बता सकते है।।-
बड़ी हिम्मत है तुम में
जो आईना खरीद लाये
कैसे देख पाओगे
अपना असली चेहरा?-
Do you know about this fact??
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प्रकृति कभी-कभी हमें जान-बूझकर मुश्किल हालातों में घिरा छोड़ देती है, ताकि हम नक़ाब के पीछे छुपे लोगों के असली चेहरे को देख सके, जिन पर हम आँख मूंदकर भरोसा करते है।
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आग की आँख में आब दे गयी
सिसकता हुआ एक ख़्वाब दे गयी
असली चेहरा आ गया सामने
जब उतार कर अपना नक़ाब दे गयी-
उसे मेरे जैसा कोई चाहिए था 'अभि' इसलिए इस नक़ली जमाने मे दिखावे के उसे एक क्या सैकड़ों मिल गए...
मुझे बस उसकी ही ख्वाहिश थी इसलिए आज भी तन्हा हूँ क्योंकि हम उसके लौटने के इंतजार में ही रह गए...-
तुम्हारी "हजारों गलतियों" के बाद भी तुम्हें अपनाते हैं,
कभी गलत रास्ते पर अगर तुम जाते हो तो
"सही रास्ते" पर भी वहीं लाते हैं,
वो "परिवार" हैं न,
कभी "प्यार" से और कभी "गुस्सा" से तुम्हें समझाते हैं,
भले ही पूरी दुनिया तुम्हारे "खुशी" में साथ दे,
पर वो तो तुम्हारे "खुशी" और "गम"
दोनों में तुम्हारा साथ निभाते हैं...!!!!-
यूँ ही नहीं बनती पहचान, उसके लिए अपनी पहचान मिटानी पड़ती है।
बीती बातें आकर अक्सर तड़पाती रहती हैं, उनकी डोर काटनी पड़ती है।
अपनी नाकामियों से सीखना पड़ता हैं और फिर आगे बढ़ना पड़ता है।
जो काम लगता हैं करना असंभव है सबसे पहले वहीं करनी पड़ती हैं।
आसान और मुश्किल कुछ भी नहीं होता है मेरे दोस्त! लोगों की सोच है।
लोगों की सोच को उनके लक्ष्य के अनुसार बस ऊँची करनी पड़ती हैं।
कोई कुछभी कहे आपने बस चलते जाना है, मंज़िल आ ही जाएगी।
बस अपने अंदर के डरपोक को नींद में सोने की गोली देनी पड़ती हैं।
(अनुशीर्षक में पूरी रचना पढ़ें।)
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बस पर्दे पर किरदारों मे जान ड़ालकर नाम मत कमाओ,,
अरे असली कमाई तो असली जिदंगी मे असली किरदारों को बखूबी निभाने मे हैं ।।-
क्यों हम आभासी दुनिया के लोगो से उम्मीद लगा बैठते है।
यहाँ तो असली दुनिया के लोग वादा तोड़ कर चले जाते है।-
ख्वाबों की दुनिया में रहता हूं,
अभी असलियत जानने में वक़्त लगेगा..
नया नया सा है इश्क़,
अभी नियत जानने में वक़्त लगेगा..
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