जिसको कह दो कि वो जरूरी है..
वो ही दामन छुड़ाने लगता है..-
मेरी हँसी में छिपी है उदासिया मेरी,,
तन्हाईयों में मचा है कुछ शोर सा...
मेरे अन्दर छिपी है वो अल्हड़ सी लड़की,,
कुछ बिगड़ी तो कुछ ख़ामोश सी...-
बातों मे नटखटपन अल्हड़ सी है जवानी,
तु प्यार है किसी का,,,,राह तक रही दिवानी
समय संयोग कुछ ऐसा मिला ,,,,,,,,,
तुझे जाना था कही और आ मुझसे मिला,-
क्या रिश्वत दूं मैं
ज़ुबां और नज़रों को अपनी,
कि अब झूठ पर मेरे
पर्दे पड़ते नहीं हैं।
ख्वाबों की तितलियों को अपने
पिंजरे में रखा है बंद यूं तो,
तोड़कर उनको उड़ जाने से ये
कतरा भर डरते नहीं है।
याद आती है अक्सर
बिछड़े ज़माने की मुझको
अल्हड़ सी आंखे अब
भरती नहीं हैं-
क़ैद हूँ मैं तहज़ीब के सख़्त पिंजरे में,
फ़िर भी कोई ग़म नहीं मुझे,
मुश्किल ये है कि तेरा अल्हड़ इश्क़ मेरी तमीज़दार मोहब्बत से बगावत माँगता है..
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_वो बातें..
जिनको तुमसे..
कहने में..
मैं हकलाता हूँ..
_वो बातें..
मेरे भीतर..
साफ - साफ..
चिल्लाती हैं...
Full piece
Coming soon...❤-
दिल ज़िन्दा है अब तक , मरा थोड़ी है..
जख्म भर चुका है अब , हरा थोड़ी है..
उसे रहना है तो रहे.. जाना है तो जाये..
मामूली सी लड़की है , अप्सरा थोड़ी है..-
_वो बातें.. जिनको तुमसे.. कहने में.. मैं हकलाता हूँ..
_वो बातें.. मेरे भीतर.. साफ - साफ.. चिल्लाती हैं..
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मत किया करो हमसे ,
मोहब्बत की बातें..
कि ,
हम मासूम है..
बातों से बहक जाते हैं..-
उसने कहा था* , मैं उसे समझता हूँ..
उसने कहा है* , मैं गलत समझ रहा हूँ..-