QUOTES ON #अनामिका

#अनामिका quotes

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13 OCT 2020 AT 17:38

हर पल घटता झीना झरना सम, जीवन जल है,
रह रह रूमानी अनामिका हृदय विकल विह्लल है,

सरल सोम्य सहज सजग सतपथ लो अपना,
सत्य सद्भाव से सदा संवरता सफल सुफल है!

उन्मत्त ऊर्जस्वित ऊर्जा उर, उम्र कुछ पल है,
क्यों रक्तचाप रक्तधमनियां रहती प्रबल हैं!

क्षमा क्षय क्षरण क्षितिज, विकट विकल है,
हर्ष हार्दिक, हंसी से हद हासिल हर हल है!

आदम अदम अद्भुत अनामिका आम आदमी,
हृदय हिय हित स्थित स्नेह अचल अटल है!

प्रेममय पाश पुष्प पलाश नीलम हृदय तल है,
नदी नहर नर्मदा निर्मल निश्चित निश्च्छल है!

वाह विकल विशाल वह विरह वेदना से विमल है,
प्रिय प्रेयसी प्रेषित प्रीत प्रेम अति विशिष्ट पल है!

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9 AUG 2020 AT 0:02

चले ही जाना है, नज़र चुरा के यूँ
फिर थामी थी साजन तुमने, मेरी कलाई क्यूँ?
किसी को अपना, बना के छोड़ दे
ऐसा कोई नहीं करता!
बाहों में चले आओ, हमसे सनम क्या परदा?

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2 MAY 2021 AT 14:39

ईसा मसीह औरत नहीं थे, वरना मासिक धर्म
ग्यारह बरस की उमर से, उनको ठिठकाए ही रखता
देवालय के बाहर!
बेथलेहम और येरुशलम के बीच, कठिन सफर में उनके
हो जाते कई तो बलात्कार और उनके दुधमुँहे बच्चे
चालीस दिन और चालीस रातें जब काटते सड़क पर,
भूख से बिलबिलाकर, मरते एक-एक कर
ईसा को फुर्सत नहीं मिलती, सूली पर चढ़ जाने की भी
मरने की फुर्सत भी, कहाँ मिली सीता को
लव-कुश के तीरों के, लक्ष्य भेद तक !

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4 MAY 2021 AT 17:26

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2 MAY 2021 AT 13:24

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2 MAY 2021 AT 20:33

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23 JUN 2020 AT 21:52

मैं श्याम सांवरी
हुई बाँवरी
पग पग चलूं
तेरे संग मैं
पीपल छांव री
छन छन बोले
पैजनिया मोरी
जैसे बोले
मोरे पांव री
मैं श्याम सांवरी
हुई बाँवरी
ढूंढू तेरे पदचिन्हों से
तेरो बसेरो कि
कहाँ है कान्हा
तेरो गांव री
मैं श्याम सांवरी
हुई बाँवरी ।।

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19 JUN 2019 AT 13:05

तू बेनाम, तेरा चेहरा अजनबी...
है कौन यह कहते, मुझसे सभी....
अल्लाह, खुदा, रब, भगवान, जीसस या हो नबी...
क्या कोई जानता है, आखिर कौन है मेरा अजनबी..??

क्या पता, उसे मेरा खुदा जानता हो ....!!
शायद, वो अंजाना भी मुझे अपनी *अनामिका* मानता हो...!!

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8 JUN 2020 AT 15:46

'प्रेम प्रतीक'
{ अनुशीर्षक में पढ़ें }

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20 FEB 2022 AT 19:10

अधखुले नैनों से,
​ताकती वो,
​पगडंडी की ऊँची ढ़लान से,
​उतरते सूरज को,
​ व,
​तलाश रही है वो,
​अपने जीवन की,
​वास्तविकता का यथार्थ,
और..​श्वाँसों के आने जाने से,
​तय करती,
​उम्र का उपसंहार,
​उसकी पलकों मे बँधे ​मोती,
​अपनी स्थिरता की प्रस्तावना,
​करने में असमर्थ हो गये,

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