हमारी जिंदगी में बहुत से नए व्यक्ति आते हैं,
और जीवन जीने के अनमोल ज्ञान दे जाते हैं।-
और मेरा हाथ थाम लिया
और जोर से गले लगाया
इतनी जोर से कि मुझे उसकी धड़कने सुनाई दे रही थी , जो कह रही थी मुझपे एतबार रख
मैं जो तेरा हूँ हमेशा बस तेरा ही रहूँगा।
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संग्रहालय वह इतिहास है।
कुछ रक्त की जुबानी कुछ अधूरी आस है।
मिट्टी में दफन कुछ राज हैं खूबसूरती के आगाज हैं।
संग्रहालय व इतिहास है।
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लफ़्ज़ बने अगर तू तो मैं इक क़लाम हो जाऊँ,
तू मेरे नाम हो जा और मैं तेरे नाम हो जाऊँ!
ये अहसास है क्या ज़रा तुम महसूस तो करो,
बन जाओ अगर राधा तो तेरा श्याम हो जाऊँ!
एक-दूजे के वास्ते अनमोल हैं हम, ये जान लो,
बसा ले दिल में मुझे कि तेरा ईनाम हो जाऊँ!
खाली कैनवास है, इस में ज़रा तुम रंग तो भरो,
बनाओ ऐसा आकर की मैं तेरा चित्रकार हो जाऊँ!
न कर परवाह ज़माने की, बात सुन ले ऐ "तामीन",
बन जा मेरी तू हँसी, मैं तेरी खुशी तमाम हो जाऊँ!-
ज़िन्दगी को इतना भी मजबूर मत बनाओ की
हर कोई तुम्हारी मजबूरी गिनाने लगे।।-
"जुबां पे लाना जरूरी है "
(रक्षाबंधन पर विशेष)
अनमोल होते हैं दो मीठे बोल
होठों पे सजाना जरूरी है ,
दबा के ना रखो दिल के अहसास
जुबां पे लाना जरूरी है ....
थके हुए तन के साथ जो
दिन -रात तुम्हारे लिए खटती है ,
दर्द को छुपाए आँखों में
बस तुम्हारे लिए ही हँसती है ,
उस माँ के गले लगकर
जज्बात दिखाना जरूरी है ,
तुम जैसा कोई नही इस जहां में
यह जतलाना जरूरी है ....
आधी रात भी तत्पर रहते
करे ना नींद की तनिक परवाह ,
फूलों जैसा तुम्हें संभाला
दी आशीर्वाद की शीतल छाँव,
जिन हाथों में बचपन खेला
उन्हें चूमना जरूरी है ,
पापा आप हो बहुत खास
यह बतलाना जरूरी है ....🌷निशि 🌷
शेष अनुशीर्षक में जरूर पढ़े .......
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आंगन कि "चहल पहल" थी दादी,
बाबा की "ताजमहल" थी दादी,
अपने सभी बच्चों के मुश्किलों की हल थी दादी,
सुकून का "एक पल" थी दादी,
मां की "मीठी लोड़ी" थी दादी,
दूध जैसी "गोरी" थी दादी,
"शक्कर की बोरी" थी दादी,
ममता की खुली "तिजोरी" थी दादी,
दादी के बिना "घर" सुना लगता है,
दादी बिन "दोपहर" सुना लगता है,
दादी गाथा है, कहानी है,
दादी बचपन की एक "अनमोल निशानी" है..!!
:--स्तुति
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सब कुछ समझते है ,
पर बोलने में डरते है ,
आजकल के ज़माने में ,
हम रिश्तों को अनमोल समझते है ।-
माँ
कभी सताती हो कभी मनाती हो।
कभी कभी तो खुद रूठ जाती हो।
बच्चो जैसी ज़िद करती हो।
फिर भी मुझ पर हक रखती हो।
खूब दुलार दिखती हो।
खूब प्यार जताती हो।
फिर भी ताने रोज़ मारती हो।
डांट मार कर मुझे भगाती हो।
मुझे से कहती हो।
पास मेरे ना आना तुम।
दूर भले चले जाना तुम।
और दूजे पल ही पास बुलाकर।
मुझे जोर से गले लगाकर।
कहती हो आंखो का तारा।
जो है तुम्हें सबसे प्यारा।
माँ और क्या कहूं खुद में एक पहेली हो आप।
माँ मेरी प्रथम गुरु और प्रथम सहेली हो आप।
माँ मेरा तो पूरा ख्वाबों से भरा संसार हो आप।
माँ हर दिन जीने का एक नया ढंग बताती हो आप।
माँ मेरे लिए तो खुदा की परछाई हो आप।
माँ मेरे लिए ही तो धरती पर आई हो आप।
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