यारो जो मैं तुम्हें बताने लगा हूँ
बात ये काफी साल पुरानी है
हाथों पर सूजन लकड़ी की
सबकी ज़िंदगी की कहानी है
गुरूओं ने दिया रोशनी का रास्ता
बात ये ख़ुशबू सी फैलानी है
मैं जोड़-जोड़ के जो भी लिखूँ
हाँ मेरी शिक्षा की निशानी है
ना लौटेंगे दिन आख़िरी बैंच वाले
चाह दोस्तों संग क्लास बितानी है
लाख भूल जाए कोई बैग क्लास में
ना किसी की पेन्सिल-रबर चुरानी है
ये जो शायरियाँ तुम पढ़ते हो
मेरे इश्क़ गुरु की मेहरबानी है
आज ये कविता क़बूल कर लो
भले ये भी बेनाम की नादानी है-
एक गुरु वह होता है जो अपने जीवन को समाज निर्माण एवं छात्र के चरित्र निर्माण व कल्याण हेतु तपस्या बना ले और उसमें समस्त स्वार्थों से परे होकर स्वयं को समर्पित कर दे।शिक्षण सिर्फ उसके लिए एक व्यवसाय नहीं होता बल्कि उसके जीवन की साधना और पूजा होती है जो ईश्वर भक्ति के तुल्य है।
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और एक...............................
अध्यापक बच्चों को शिक्षा तो देता है परंतु शिक्षण एवं ज्ञान उसके लिए सिर्फ व्यावसायिक व्यवहार का द्योतक है।
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यारों जो मैं तुम्हें बताने लगा हूँ
बात ये काफ़ी साल पुरानी है
हाथों में सूजन लकड़ी से
सब की ज़िंदगी की कहानी है
रोशन रस्ता गुरूओं ने दिखाया
बात ये ख़ुशबू-सी फैलानी है
मैं जोड़-तोड़ के जो भी लिखूँ
हाँ मेरी शिक्षा की निशानी है
ना लौटेंगे दिन आख़िरी बैंच वाले
चाह दोस्तों संग क्लास बितानी है
लाख भूले कोई बस्ता क्लास में
ना अब पेन्सिल-रबर चुरानी है
ये जो शायरियाँ तुम पढ़ते हो
मेरी मोहब्बत की मेहरबानी है
आज क़बूल कर लो ये कविता
भले ये भी बेनाम नादानी है-
गुरुजी,
मैंने कभी नहीं सोचा कि आप इतनी जल्दी चले जायेंगे ।आठवीं में बस यूं कहिये की घर से बगावत करके आपसे पढ़ने आया था।मुझे सिर्फ इसलिए आपके पास नहीं आने दिया जा रहा था क्योंकि आप मुसलमान थे,शायद वो मेरी धर्मनिरपेक्ष होने की पहली परीक्षा थी और मैंने जिद की थी कि मैं पढूंगा तो आपसे अन्यथा नहीं पढूंगा,आखिर बालहठ की जीत हो ही गयी, शायद मैंने उस दिन पापा को जितना दुःखी देखा उतना 20 सालों में कभी नहीं देखा। पर न जाने क्यूं उस दिन पहली बार मुझे पापा को दुखी देखकर भी खुशी हो रही थी। शायद मैंने उस दिन पापा की आखों पर पड़ी 45 साल से कट्टरता की पट्टी हो हटाने का प्रयास किया था, इसीलिए उन्हें सब कुछ धुंधला दिख रहा होगा। वो आप ही थे गुरुजी जिन्होंने मेरे पापा के दिमाग में दृढ़ हो चुकी कट्टरता को एक जादूगर की तरह जड़ से गायब कर दिया। जब आप कभी कभी उर्दू के अल्फाज बोलते तो मैं चुपके से उन्हें लिख लेता था , आज भी वो एक साल में बनाई गई छोटी सी डिक्शनरी मेरे पास है आज उसी को पढ़ रहा था तो अचानक सभी चित्र आँखों के सामने नर्तक बनकर नाचने लगे , आप हमेशा कहा करते थे कि अच्छे लोगों की अल्लाह को जरूरत होती है शायद इसीलिए आपको उसने बुला लिया। उर्दू सीखने को क्या कहा , आप उसी के दूसरे दिन हमेशा हमेशा केलिए चले गए बताया होता मैं उर्दू न पढ़ता पर इस तरह से छोड़कर जाने की क्या जरूरत थी।
(Rest in Caption)
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मैं भी तो... absent था।
हाँ, मैं वहाँ नहीं था
क्योंकि;
मैं गया था...
खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से
खाद्यान्न बाँटने।
मैं गया था...
जनगणना विभाग की ओर से
जनगणना करने।
मैं गया था...
चुनाव आयोग की ओर से
वोटर लिस्ट संशोधित करने।
एक अध्यापक...
मात्र अध्यापक कहाँ होता है!
वह अध्यापन को छोड़
सब कुछ करता है।
और हाँ, उसकी अनुपस्थिति
मृत्यु होती है एक अध्यापक की!-
कंकड़ पत्थर से जुड़ी दीवारें
कहलाती हैं आलय,
पूज्य गुरु के चरणारविंद से
आलोकित हो बनतीं विद्यालय।
कण-कण पुलकित,चरणधूलि ले ,
गुरुवर को शीश नवाते,
पावन प्रांगण में आ आकर
रवि,पवन,विहंग भी उनको शीश झुकाते।
गुरुजी कोरे कोरे मृदु पटल पर
ज्ञान की शुचि धार बहाते,
अगणित किरणें उग आतीं हैं,
गुरु उनका तेज बढ़ाते।
निस्तेज कभी ना होता है ,
पूज्य गुरुवर का शिक्षा दान महान,
वसुधा के हर शिक्षक को शत शत है प्रणाम ।
🙏शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
-रेणु शर्मा-
गुरु...
हर युग में उनका आदर है..
वो मोतियों से भरे बादर है..
जो जीवन सुधार से अपनी शिक्षा से..
ऐसी सीख के वो सागर हैं..!-
यूँ तो CCTV कैमरा सब देख लेता है,
पर वह भी आज तक अध्यापक की फटी जेब न देख सका।-