"मिलना चाहती हूं अथाह और अनंत समंदर से
आख़िर वो इतना आशु बहाता किस गम में है ?"-
नज़रों का सिलसिला भी बहुत कमाल का है
उनसे जब पहली बार मिला तो जिंदगी
बन गई और आखरी बार मिला तो बर्बाद।-
आदित्य किरणों की तेज़ पटल पर,
पतंग उड़ाई वो आकाश अचल पर।
समर्पण भाव देख अचम्भित हुए थे,
सामाजिक मंच और देश बिमल पर।
दृढ़ निश्चय था या सर्वोत्तम अधिमान,
प्रतिभा समुन्नति की गोचर थी पहचान।
अनायास हमे छोड़ गए, स्मरण रहेगा,
चित्रकारी हो या नृत्यकला में योगदान।
अमिट प्रकाशग्रह की सीतल धरा पर,
टिमटिमाते आकृति थी भूखंड हरा पर।
प्रतिभा मंच की कोहिनूर कहे थे,
योग्यता शिखर और ध्रुवमत्स्य तारा पर।-
जिंदगी आपको वो नहीं देगी ....जो तुम्हें चाहिए ...
जिंदगी आपको वो देगी.... जिसके तुम काबिल हो ...-
ये राजनीति नहीं व्यापार है,
झूठ की पुलंदियां इसकी तलवार है,
कोई कर रहा इस सीने पर आघात वार है,
विपत्ति में भी हो रही झूठ का प्रचार है,
ये राजनीति नहीं व्यापार है।
अदिति सिंह ने बोला क्या?
उसने जो कुछ बोला वह तो जनता का सवाल है!
इसी बात को लेकर तो पार्टी में हो रहा बवाल है,
वाड्रा-वाड्राइन की यह चाल है,
यह तो सच का परिणाम है,
इसी को लेकर तो सब कुछ हो रहा बवाल है।
सच बोला तो हम बागी,
और झूठ बोला तो हम त्यागी
अरे! पार्टी हम नागरिक से बड़ी नहीं है,
और तुम कहते हो इस वक्त सच बोलने की घड़ी नहीं है,
पार्टी और नागरिक में नागरिक सबसे बड़ी है,
विपत्ति में भी सूझ रहा तुमको ऐसा पारंपरिक व्यवहार है,
ये राजनीति नहीं व्यापार है।
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मेरा भारत महान।
मैं हूँ इसकी शान।।
जन गण मन हैं मेरा राष्ट्रगान।
तिरंगा हैं मेरा मान।।
इससे हैं मेरी पहचान।
भारत का करती हूं सम्मान।।
मेरा भारत महान।
सूरज चादँ को देखा है।।
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा हैं।
...........अदिति त्रिपाठी
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