युग को समझ न पाते जिनके भूसा भरे दिमाग़
लगा रही जिनकी नादानी पानी में भी आग-
Corona से बड़ी बीमारी जातिवाद है ।
एक बार Corona ठीक हो जाएगा पर जातिवाद नहीं ।
फिर भी देखते है , इस साल भर के छुआछूत से लोगो को शायद पिछले 5000 वर्षों की छुआछूत के बारे में समझ आ जाए तो अच्छा ही होगा बाकी जैसी जिसकी सोच ।-
कल को देना है जवाब आज ही कहा जाएगा!
बीत गया है आज वो कल लौट के नही आएगा!!-
प्रतिदिन बढ़ रहे हैं समाज में
लड़कियां कहां सुरक्षित है समाज में।
लड़कियां शोषण सह रही है यहां
घरेलू हिंसा बढ़ रहा है वहां।
कैसा है यह समाज का व्यवस्था?
कोई तो समझे लड़कियों की अवस्था।।-
सुर्ख़ लाल लबो से ।
खून टपकता हुआ।
हाथों से ।
अपना आंचल संभालती हुई।
अंधेरे सन्नाटें में जोर से चीख रही थी वो।
मत करो मेरी अश्मिता को खंडित।
ये कैसी है तुम्हारी महिमा मंडित?
रात के सन्नाटों में क्यों मेरी रूह को ज़ख्मी करते हो?
दिन के उजाले में एकदम सीधे सच्चे बन कर फिरते हो।
दिन के उजाले में देवी समझकर स्त्री की पूजा करते हो।
रात के सन्नाटें में क्यों मातृ स्वरूपा स्त्री को कुचला करते हो?
एकटक देखते हुए ।
एक ही सांस में ऐसे असंख्य सवाल पूछ बैठती है,वो।
जैसे कह रही हो ।
मुझे ऐसे बर्बाद तो ना होने दो।
मुझे मेरे हिस्से का थोड़ा सम्मान तो दे दो।-
तेरी मूक छाया बन कर रह लिया बहुत।
तेरी क्रूरता और अत्याचार सह लिया बहुत।
अब ना रुकूंगी ।
अब ना डरूंगी।
पीछे एकदम नहीं हटूंगी।
आगे बढ़कर बस अब अपने लिए लडूंगी।-
तुम्हारा प्यार जैसे पड़ोसी की बकर
सुना भी ना जाए
उसके बिन रहा भी ना जाए-
सादगी भी है जुल्म-ओ-सितम का दूसरा नाम,
कोई मर जाता है और कोई मारा जाता है!-
मैंने तो जन्म भी ना लिया
फिर क्यों कर रही हो अत्याचार
माँ मैं अंश तुम्हारी ही हूँ
कोख में तुम्हारी पल बढ़ रही
मैं तो बहुत प्यारी-न्यारी हूँ
मैं तुम्हारी बेटी बस तुम्हारी हूँ ।।-