अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रेरणास्पद कविता :
बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते हंसते, आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रुदन में, तूफानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
कुछ कांटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
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रतन हू रत्नों में जा मिला हू..
कुछ वक़्त में अपना काम कर चला हू..
हारा नहीं, हरा कर चला हू...
आऊगा फिर से जन्म लेके राष्ट्र के लिए...
दिखाऊँगा इन पीतल से चहेरो को...
सोना क्या होता है, कोहिनूर क्या होता है..
रोशन की आजादी देके जा रहा हू,
अंधेरों की घटाओ को लेके जा रहा हू...
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को मेरी तरफ़ से..
श्रद्धांजलि नमन 🙏 🙇-
में अपने कलम की श्याही से अपने जज्बात लिखना चाह रहा हु,
मुश्किल है जनाब पर अपने अल्फ़ाज लिखना चाह रहा हु।
डूब जाता हूं अक्सर कुछ बाते सोचकर के में,
ऐसे अपने हालात लिखना चाह रहा हु।
मुश्किल है बयां करना मेरे मन की धारणाओं को सबके बीच,
क्योंकि गुप्त मन से में नए भारत की खोज करना चाह रहा हु।
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"कुछ तो खास होगा
शख्शियत में उनकी
वो काजल की कोठरी से
कोरे के कोरे निकल गए"-
क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
जीवन महासंग्राम है वरदान माँगूँगा नहीं।।
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा,
अटल बिहारी वाजपेयी
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क्या हार में,
क्या जीत में,
किंचित नहीं भयभीत मैं,
कर्तव्य पथ पर जो भी मिला,
ये भी सही वो भी सही ।।-
अपने मन को राह पर साथ लेकर निकलूंगा,
और अपना विश्वाश साथ लेकर निकलूंगा।
अटल रहेगा मेरा पूर्ण स्वभाविक इरादा इस दुनिया में ,
क्योंकि ऐसे विचार साथ लेकर निकलूंगा।
कोई रोक थाम नही होगी मेरे राह में और न ही कोई आएंगी अर्चन,
क्योंकि साहब अपने जैसे हजार साथ लेकर निकलूंगा।-