Sanjay Singh Jalal   (जलाल)
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पढो और जानो
Joined 5 April 2018


पढो और जानो
Joined 5 April 2018
17 JAN AT 6:45

ये जो रूमानी रिश्ते हैं
गर्मियों में मुनाफिक हैं जनाब।
सर्दियों में तो
जिस्मानी ताल्लुकात ही काम आते हैं। ।

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1 MAR 2022 AT 11:27

तू स्रष्टि की समष्टि है
मैं सार हूँ संसार का।।
जननी तू जन्मदायिनी
मैं देव हूँ संहार का।।

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24 FEB 2022 AT 11:22

मुहब्बत तुमसे थी
मगर, तुम ही से थी
ऐसा भी न था।
उतनी भी जरूरी न थी
जितना समझती रही।

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24 JAN 2022 AT 15:03

जयका-ए-असलियत
बड़ा बेस्वाद सा लगा हमें।
मेरा खाब झूठा था
पर तबियत को फिर फिर
वही रास आया।

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19 DEC 2021 AT 10:36

जिंदगी अधूरी ख्वाहिशों की
अधूरी सी एक फ़ेहरिश्त भर है।
हमसफ़र हैं, हमनवा हैं
पर अधूरा ही सफर है।
कोशिशें हर बार की
जीते कभी ,हारे कभी
हासिल हुआ पर कुछ नहीं
एक "काश" है, एक "अगर" है।

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19 DEC 2021 AT 10:28

फिर शुरू होगी कहानी
खत्म होने जाने के बाद।
जी उठेगा उठेगा इश्क़ फिर
तेरे जुदा होने के बाद।
फिर किसी की आंखों में
खो जाएंगे हम एक बार
फिर न तेरा जिक्र होगा
फिर न होगी तेरी याद।

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31 OCT 2021 AT 15:48

जो होना भी चाहें जुदा कैसे हों?
किसी दूसरे पर फिदा कैसे हों?
मेरी शख्सियत में झलकते हो तुम
खुद से ही हम लापता कैसे हों?
झुके जब भी सर ये,दुआ के लिए
दिखता है चेहरा,तुम्हारा सनम
मेरे गम-ओ-खुशियाँ,तुम्ही से ही हैं
कोई दूसरा फिर,खुदा कैसे हो?

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31 OCT 2021 AT 8:45

सिगरेट के धुएं में आराम ढूँढता हूँ।
न जाने क्या है जिसे, सुबह शाम ढूँढता हूँ।
फिर-फिर पलटता हूँ, तकदीर के पन्ने।
मैं अपनी कहानी में, तेरा नाम ढूँढता हूँ।

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30 MAR 2021 AT 9:30

न सोच मुश्किलों का दौर ये
बीतेगा कैसे?
बता, लड़ेगा नहीं तो जीतेगा कैसे?
हजारों हुए तुझसे
हजारों हैं, हजारों होंगे।
तेरी तरह ही वो भी खुद से
हारे होंगे।
भुला दिए, भूले जाएंगे
वो सब जो नाम की कीमत न चुकाएँगे।
मेहनत से जो जवानी का मोल न लेगा
तारीख में अपनी जगह खरीदेगा कैसे?

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30 MAR 2021 AT 9:24

जिंदगी का हलाहल पीकर
मतवाला हो जा
सीने की आग जरा और भड़का
उबलने दे खून जरा
ज्वाला हो जा।
मुसीबतों के पहाड़ उठाकर भी
सुना राग बाँसुरी का
मथुरा का लाल,
गोकुल का ग्वाला हो जा।

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