जीवन का मूल मंत्र है
पर हो वही जो काल का यंत्र या षडयंत्र है-
शुभ करो,शुभ होगा?,सुनो ये मज़ाक अच्छा है,
हमपे है बुरा पर तुम पे हर इक दाग अच्छा है,
हमीं लूटे गए है उम्र भर और ए अदालत सुन,
सज़ा भी हमको दी तूने तिरा इंसाफ अच्छा है,
कोई पूछे अगर तुमसे बताओ क्या किया साहब,
कहो गद्दार उसको तुम,तुम्हारा जवाब अच्छा है,
ज़मीने खा गए जो किसान की,वो ऐश करते है,
गोली खा रहा है किसान तेरा खिताब अच्छा है,
मुल्क में हो अमन औऱ हर तरफ बस भाई चारा हो,
सियासत का तू सुन सत्यम ये जुमला ख़ास अच्छा है,
ख़्वार'©
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अक्षय तृतीया पर्व है मंगल,
पावन यह त्यौहार,
प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने
लिया प्रथम आहार।
राजा श्रेयांश ने आदिप्रभु को
दिया इक्षु रस का आहार,
पंचाश्चर्य हुए प्रांगण में हुआ
गगन में जय जयकार।
दान पुण्य की यह परंपरा,
हुई जगत में शुभ आरंभ,
हो निष्काम भावना सुंदर,
मन में लेश न हो कुछ दंभ।
चार भेद हैं दान धर्म के,
औषधी शास्त्र अभय आहार,
हम सुपात्र को योग्य दान दें,
बने जगत में परम उदार।
अक्षय तृतीया के महत्व को
यदि निज में प्रकटाएंगे,
निश्चित ऐसा दिन आएगा,
हम अक्षय फल पाएंगे।-
शुभ कर्म हम करते रहें,तो अच्छा फल मिलता है,
श्रेष्ठ कार्य का श्रेष्ठ नतीजा, श्रेष्ठ सब कुछ होता है।
प्रभु अर्पित पुरुषार्थ करे, वो सच्चा भाग्यविधाता है,
परोपकार करेंगे मन से, ये जीवन में सुख लाता है।
दान, दया और स्नेह, सर्वोत्कृष्ट व्यवहार कहलाता है,
धन, श्री वृद्धि बढ़ती है,और कार्य सिद्ध हो जाता है।
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