हसीन शाम थी हम साथ दिलवर के थे
कितने प्यारे दिन पिछले अक्टूबर के थे;-
2 OCT 2021 AT 19:36
1 OCT 2021 AT 18:47
खुशियों के झोकों को साथ लाया है
माता भी आ रही हैं डोली में होकर सवार
पूरे जोर-शोर से मनाइए,
त्योहारों की है भरमार
हंसते-खेलते ऐसे ही गुजर जाए
ये भी अक्टूबर का माह
न कोई रंजो गम हो
न कोई सितम हो
हमारी तो यही है चाह
अक्टूबर ऐसे ही आया है...
नई-नई उमंगे संग लाया है-
1 OCT 2021 AT 13:19
अक्टूबर ऐसा आया है मेरे लिए तो
बस खुशियां ही ले आया है
अक्टूबर की शुरुआत ही इतनी अच्छी है
अक्टूबर के आने से पहाड़ो के एक बार फिर करीब से
देखने को मिलेगा ।।
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22 OCT 2021 AT 11:53
हैरान हो?
होना भी चाहिए
आख़िर तुमसे पहली बार
ऐसा कुछ बोल रही हूँ,
तुम्हें ज़िन्दग़ी कहूँ या
ज़िन्दग़ी को तुम कहूँ एक ही बात है,
(अनुशीर्षक में)-
2 OCT 2021 AT 21:18
ढाक, शंख ,की आवाज़
अपने संग लाया है।
हरसिंगार लगे हैं झड़ने
छोटे होते दिन पर
लंबी रातों का साया है।-