हाथ अगर पकड़ो, तो इस क़दर पकड़ना....
कि तुम्हारे हाथों का अक्स, इबादत में उठे मेरे हाथों में दिखे...।-
दरार से बेहतर है के टुकड़े-टुकड़े ही हो जाए
आईने में अक़्स,रिश्तों में शख्स साबुत रहना चाहिए...
©दिशा 'अज़ल'
साबुत*= पूरा,one piece,-
जब, मैं न रहूँगी...!
.... तब तुम्हारे शब्दों में
जीवंत हो उठेगा
मेरा अक़्स
और मेरे लहज़े की नरमी,
तब, बोलोगे तुम...,
परंतु दुनिया
मुझे भी
सुन पायेगी...!
(संपूर्ण रचना अनुशीर्षक में)-
उसकी पसंद को,
अपना बनाना भी तो इश्क़ ही है ना......
💕
💕
💕
💕
आदायें दिल की जानता ही नहीं,
मेरा हमदम भी कितना सादा है......
#अक़्स-
कभी कभी मेरे दिल में,
खयाल आता है..........
के ये खयाल दिल में क्यूं आया है...🤔🤔
जबकि सोचने का काम तो दिमाग का है....!!
🤓🤓😂😂🤓🤓
#अक़्स
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जलती हुई लौ से,
काला टीका लगा लिया,
मैंने अपने प्रेम पर..........
चिर अनंत खुशियां मांग ली,
मैंने ईश्वर से,
यूं जल कर.............💕
#अक़्स
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जब भी उसे मेरी याद सताती है,
मेरा इंतजार करता है वो online....
या देख लेता है जी भरके मेरा status....
😁🥰😁
#अक़्स-
ढूँढता हूँ चेहरा तेरा,
है यक़ीन मुझे कहीं तो है वो,
मेरे बिना ख़ुद अधूरा है जो।
डूबा है मेरी मोहब्बत में जो,
शायद ख़बर मुझे भी है कौन है वो।
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